1) गृह विज्ञान आपको अपना पौष्टिक खाद्य पदार्थों का व्यापार शुरू करने के लिए किस प्रकार मदद कर
सकता है, कोई एक पदार्थ का नाम और बनाने का तरीका लिखें व उसकी पौष्टिकता बताए।
(पाठ-4,9 देखें)
Answers
Explanation:
आहार विज्ञान पोषण के सिद्धांतों पर आधारित मनुष्य के भोजन का विज्ञान एवं कला है। इसे ‘‘मनुष्य की पोषणिक देख-रेख का विज्ञान एवं कला” भी कहा जाता है। रोगियों से जुड़ी संस्थापनाओं में आहार चिकित्सा-विज्ञान तथा इसका अनुप्रयोग आहार विज्ञान का एक मुख्य केंद्र बिंदु है। इस तरह आहार-विज्ञान (क) व्यक्ति पर संकेन्द्रित पोषण देख-रेख एवं निगरानी तथा (ख) समूह पर संकेन्द्रित पोषण देख-रेख एवं निगरानी से संबंधित हो सकता है।
आहार किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य तथा स्वस्थता वर्धन में एक अहम भूमिका निभाता है। एक अच्छे तथा संतुलित आहार की आदत जीवन क्षमता को बेहतर बनाती है तथा घटिया आहार रूग्णता और रोगों को बढ़ाता है। आहार-विज्ञान भोजन प्रबंधन से संबंधित होता है और पोषण स्वास्थ्य वर्धन से जुड़ा होता है।
अधिकांश शहरी जनसंख्या की भोजन-आदतों में परिवर्तन होने के कारण पोषण विज्ञानियों और आहार विज्ञानियों की भूमिका अधिक महत्वपूर्ण होती जा रही है। वे, किसी व्यक्ति के विभिन्न पहलुओं जैसे आयु, कार्य दिनचर्या तथा बीमारी आदि को ध्यान में रखते हुए उपयुक्त भोजन आदतों तथा चिकित्सा विज्ञान का सुझाव देते हैं और उससे उनकी जीवन क्षमता में सुधार लाते हैं। वे अपने ग्राहकों को पोषण के सिद्धांतों के अनुसार भोजन बनाने की शिक्षा भी देते हैं। वे खाद्य उत्पादन एवं प्रसंस्करण, खाद्य पसंद को प्रभावित करने वाले मनोवैज्ञानिक तथ्यों, पाचन तथा पोषण संबंधित पहलुओं पर इसके प्रभाव के बारे में जानते हैं। बढ़ रही तथा जरण की ओर अग्रसर जनसंख्या नर्सिंग होम, स्कूलों, कारागारों, सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों तथा गृह स्वास्थ्य देखरेख एजेंसियों में भोजन एवं पोषण संबंधी परामर्श की मांग में वृद्धि करेगी।
स्वास्थ्य देखभाल में आहार विज्ञानी की भूमिका
आहार विज्ञानी की भूमिका 19 वीं शताब्दी के प्रारंभ से ही काफी महत्वपूर्ण रही है। उनकी भूमिका से अब भी अनेक व्यक्ति अनभिज्ञ हैं। कुछ व्यक्ति सोचते हैं कि आहार विज्ञानी केवल व्यक्तियों को अपना वजन कम करने के लिए आहार संबंधी राय देते हैं, जबकि यह उनकी भूमिका का एक छोटा सा भाग है। आहार विज्ञानी पोषण संबंधी देखभाल के बारे में कठिन निर्णय लेने में रोगी तथा चिकित्सा दल या फिजिशियन के बीच एक सम्पर्क-कड़ी होता है। एशियन सोसायटी ऑफ पैरेंटरल एंड एंटरल न्यूट्रीशन (ए.एस.ई.ए.एन.) का कथन है कि पोषण देखभाल में आहार विज्ञानी की भूमिका ने, देखभाल के पूर्व-स्थापित मानकों के अनुसार संतुलित पोषक तत्वों के पर्याप्त स्रोतों और मात्रा की सिफारिश की है। रोगी की रोग-दशा पोषण संबंधी समर्थन अपर्याप्तता कोअस्त व्यस्त कर देती है तो एक दुविधा की स्थिति आ जाती है, जिसके परिणाम-स्वरूप रोगी कुपोषण ग्रस्त हो जाता है आहार विज्ञानी को निम्नलिखित कार्य करने चाहिएं :-
• खाद्य एवं पोषण कार्यक्रमों की योजना बनाना।
• स्कूलों तथा अस्पतालों में भोजन व्यवस्था का पर्यवेक्षण करना।
• आहार संबंधी परिवर्तन का सुझाव देना।
• रोगियों को आहार की शिक्षा देना जो उनकी स्थिति में सुधार कर सकती है।
• बहु-विषयक स्वास्थ्य देख-भाल सोच जागृत करने के लिए अन्य स्वास्थ्य देख-भाल व्यवसायियों के साथ कार्य करना।
• बीमारी की गंभीरता तथा उपचार की जटिलता और सभी कल्पनीय मार्गों में भोजन लाभों तथा भार पर जानकारी देना।
• रोगी की पोषण संबंधी स्थिति पर आहर विज्ञानी के रूप में देते हुए तथा फिजिशियन एवं चिकित्सा-दल के सलाहकार के रूप में रोगी की देखभाल में सक्रिय रहना, और
• रोगी की देखभाल के उपायों जैसे अधिक आक्रामकता या प्रशामक देख-भाल करने में सहायक विधिक निर्णयों की जानकारी देना।
Answer:
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