1. गुप्त साम्राज्य के विस्तार और समेकन की चर्चा कीजिए।
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मौर्य वंश के पतन के बाद दीर्घकाल में हर्ष तक भारत में राजनीतिक एकता स्थापित नहीं रही। कुषाण एवं सातवाहनों ने राजनीतिक एकता लाने का प्रयास किया। मौर्योत्तर काल के उपरान्त तीसरी शताब्दी ईस्वी में तीन राजवंशो का उदय हुआ जिसमें मध्य भारत में नाग शक्ति, दक्षिण में वाकाटक तथा पूर्वी में गुप्त वंश प्रमुख हैं। मौर्य वंश के पतन के पश्चात नष्ट हुई राजनीतिक एकता को पुनः स्थापित करने का श्रेय गुप्त वंश को है।
गुप्त साम्राज्य की नींव तीसरी शताब्दी के चौथे दशक में तथा उत्थान चौथी शताब्दी की शुरुआत में हुआ। गुप्त वंश का प्रारम्भिक राज्य आधुनिक उत्तर प्रदेश और बिहार में था।
गुप्त साम्राज्य के विस्तार और समेकन की चर्चा
Explanation:
बाद के दशकों में गुप्तों ने आसपास के राज्यों पर अपने नियंत्रण का विस्तार या तो सैन्य विस्तार के माध्यम से या विवाह के गठबंधनों के माध्यम से किया। वास्तव में गुप्त काल को कुछ स्वर्ण युग माना जाता है, जिसे साहित्य, संगीत, कला, वास्तुकला और दर्शन में महान उपलब्धियों द्वारा चिह्नित किया गया है।
चन्द्रगुप्त द्वितीय की शक सतप्र पर शानदार जीत ने भारत को शेष उत्तरी भारत के साथ एकजुट कर दिया। यह अरब सागर पर प्राकृतिक सीमा के लिए अपनी पश्चिमी सीमा को धक्का देकर गुप्त साम्राज्य को बंद कर दिया। गुप्त साम्राज्य अब पूर्व में बंगाल की खाड़ी से पश्चिम में अरब सागर तक फैला हुआ था।
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गुप्त साम्राज्य के विस्तार और समेकन की चर्चा कीजिए।
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