Hindi, asked by Anonymous, 9 months ago

1. गोपियों द्वारा उद्धव को भाग्यवान कहने में क्या व्यंग्य निहित है?
2 उद्धव के व्यवहार की तुलना किस-किस से की गई है?​

Answers

Answered by suhana445
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Answer:

1.गोपियों द्वारा उद्धव को भाग्यवान कहने में यह व्यंग्य निहित है कि उद्धव वास्तव में भाग्यवान न होकर अति भाग्यहीन हैं। वे श्री कृष्ण के सानिध्य में रहते हुए भी वे श्री कृष्ण के प्रेम से सर्वथा मुक्त रहे। श्री कृष्ण के प्रति कैसे उनके हृदय में अनुराग उत्पन्न नहीं हुआ? अर्थात् श्री कृष्ण के साथ कोई व्यक्ति एक क्षण भी व्यतीत कर ले तो वह कृष्णमय हो जाता है। वे प्रेम बंधन में बँधने एवं मन के प्रेम में अनुरक्त होने की सुखद अनुभूति से पूर्णतया अपरिचित हैं।

2.गोपियों ने उद्धव के व्यवहार की तुलना निम्नलिखित उदाहरणों से की हैं:

१ - गोपियों ने उद्धव के व्यवहार की तुलना कमल के पत्ते से की हैं जो नदी के जल में रहते हुए भी जल की ऊपरी सतह पर ही रहता है। अर्थात जल में रहते हुए भी जल का प्रभाव उस पर नहीं पड़ता। उसी प्रकार श्रीकृष्ण का सानिध्य पाकर भी उद्धव श्रीकृष्ण के प्रभाव से मुक्त है।

२ - गोपियों ने उद्धव के व्यवहार की तुलना जल के मध्य रखे तेल की मटकी के साथ की हैं, जिस पर जल की एक बूंद भी टिक नहीं पाती। ठीक वैसे ही उद्धव श्रीकृष्ण के समीप रहते हुए भी उनके रूप के आकर्षण तथा प्रेम-बंधन से सर्वथा मुक्त हैं।

३ - उद्धव ने गोपियों को जो योग का उपदेश दिया था उस पर गोपियों का यह कहना है की यह योग सुनते ही कड़वी ककड़ी के सामान अत्यंत अरूचिकर प्रतीत होता है।

Answered by Anonymous
6

Answer:

1.गोपियों द्वारा उद्धव को भाग्यवान कहने में यह व्यंग्य निहित है कि उद्धव वास्तव में भाग्यवान न होकर अति भाग्यहीन हैं। वे श्री कृष्ण के सानिध्य में रहते हुए भी वे श्री कृष्ण के प्रेम से सर्वथा मुक्त रहे। श्री कृष्ण के प्रति कैसे उनके हृदय में अनुराग उत्पन्न नहीं हुआ? अर्थात् श्री कृष्ण के साथ कोई व्यक्ति एक क्षण भी व्यतीत कर ले तो वह कृष्णमय हो जाता है। वे प्रेम बंधन में बँधने एवं मन के प्रेम में अनुरक्त होने की सुखद अनुभूति से पूर्णतया अपरिचित हैं।

2.गोपियों ने उद्धव के व्यवहार की तुलना निम्नलिखित उदाहरणों से की हैं:

१ - गोपियों ने उद्धव के व्यवहार की तुलना कमल के पत्ते से की हैं जो नदी के जल में रहते हुए भी जल की ऊपरी सतह पर ही रहता है। अर्थात जल में रहते हुए भी जल का प्रभाव उस पर नहीं पड़ता। उसी प्रकार श्रीकृष्ण का सानिध्य पाकर भी उद्धव श्रीकृष्ण के प्रभाव से मुक्त है।

२ - गोपियों ने उद्धव के व्यवहार की तुलना जल के मध्य रखे तेल की मटकी के साथ की हैं, जिस पर जल की एक बूंद भी टिक नहीं पाती। ठीक वैसे ही उद्धव श्रीकृष्ण के समीप रहते हुए भी उनके रूप के आकर्षण तथा प्रेम-बंधन से सर्वथा मुक्त हैं।

३ - उद्धव ने गोपियों को जो योग का उपदेश दिया था उस पर गोपियों का यह कहना है की यह योग सुनते ही कड़वी ककड़ी के सामान अत्यंत अरूचिकर प्रतीत होता है।

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