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'ग्राम-गीत का मर्म' निबंध में व्यक्त सुधांशु जी के विचारों को सार रूप में प्रस्तुत करें।
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‘ग्राम गीत का मर्म’ निबंध के संबंध में सुधांशु जी महाराज के विचार एकदम स्पष्ट हैं। उन्होंने कहा है कि जीवन की शुद्धता और जीवन के भावों की सरलता का जितना मार्मिक वर्णन और चित्रण ग्राम गीतों में मिलता है उतना दूसरे कला गीतों में नहीं मिलता। ग्राम गीत हमारे हृदय की वाणी को व्यक्त करते हैं हमारे हृदय से निकलते हैं। यह हमारे मस्तिष्क या जिह्वा की ध्वनि नही, बल्कि यह हमारे हृदय के उद्गार हैं। सुधांशु जी महाराज के अनुसार जिस प्रकार जीवन का आरंभ शैशवावस्था से होता है। जीवन की प्रारंभिक अवस्था शैशवावस्था होती है। वैसे ही सारे कला गीतों में ग्राम गीत शैशवावस्था है अर्थात ग्राम गीत से ही कला गीतों का आरंभ होता है। ग्राम जीतों में हमारे अनेक पौराणिक चरित्रों का वर्णन हुआ है। जिससे हमें उनके व्यक्तित्व और आचरण को समझने का और उनके आदर्शो को अपने जीवन में डालें की प्रेरणा मिलती है और हम अपने उन पौराणिक पात्रों से खुद को जोड़ पाते हैं।