1. गाँधी जी जिस मार्ग पर चल पड़ते थे, भारत की जनता पर उसका क्या प्रभाव पड़ता था ?
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महात्मा गांधी की छवि आम तौर पर एक धीर-गंभीर विचारक, आध्यात्मिक महापुरुष और एक कड़क अनुशासन प्रिय राजनेता की रही है लेकिन उनकी विनोदप्रियता और हाज़िरजवाबी का भी कोई जवाब नहीं था.
अपने हास्य और व्यंग्य से वे बड़े-बड़े लोगों को लाजवाब कर देते थे. वह खुलकर हंसते थे और हंसते वक्त ही पता चलता था कि उनके कई दांत उम्र के साथ ग़ायब हो चुके हैं.
महात्मा गांधी चुटीले सवालों का जवाब उसी चुलबुले अंदाज में देने माहिर थे. एक बार उन्होंने खुद कहा था 'अगर मुझमें हास्य-विनोद (सेंस ऑफ़ ह्यूमर) ना होता तो मैं अब तक आत्महत्या कर चुका होता.'
महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू के साथ
इमेज स्रोत,UNIVERSAL HISTORY ARCHIVE/UNIVERSAL IMAGES GROUP V
नेहरू भी थे कायल
जवाहरलाल नेहरू ने अपनी आत्मकथा में लिखा है- 'जिसने महात्माजी की हास्य मुद्रा नहीं देखी, वह बेहद कीमती चीज़ देखने से वंचित रह गया है.'
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सरोजनी नायडू तो महात्मा गांधी को प्यार से 'मिकी माउस' बुलाती थीं. गांधीजी भी अपने पत्रों में उनके लिए 'डियर बुलबुल', 'डियर मीराबाई' तो यहां तक कि कभी-कभी मज़ाक में 'अम्माजान' और 'मदर' भी लिखते थे.
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