Hindi, asked by priyadarshine57, 5 months ago

1. गांधीजी को किस काम से दुःख हुआ ?
उत्तर :-

2. किन तत्वों ने गाँधीजी को महात्मा बनाया ?
उत्तर

Answers

Answered by mohini79
2

Answer:

yrr ye sab hindi books chapter ka h questions tho khud padh lo aru answer likh lo why should loss your points

Answered by khanhaniya88
0

Answer:

  1. वह जानता था कि उसने कोई गलत काम नहीं किया। उसे दुख इस बात का था कि उसके टीचर ने नकल करने के लिए कहा था। बड़े होकर भी मोहन यानी महात्मा गांधी ने कभी कोई गलत काम नहीं किया।
  2. मोहनदास करमचन्द गांधी (जन्म:2 अक्टूबर १८६९; निधन:३० जनवरी १९४८) जिन्हें महात्मा गांधी के नाम से भी जाना जाता है, भारत एवं भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख राजनैतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे। वे सत्याग्रह (व्यापक सविनय अवज्ञा) के माध्यम से अत्याचार के प्रतिकार के अग्रणी नेता थे, उनकी इस अवधारणा की नींव सम्पूर्ण अहिंसा के सिद्धान्त पर रखी गयी थी जिसने भारत को आजादी दिलाकर पूरी दुनिया में जनता के नागरिक अधिकारों एवं स्वतन्त्रता के प्रति आन्दोलन के लिये प्रेरित किया। उन्हें दुनिया में आम जनता महात्मा गांधी के नाम से जानती है। संस्कृत भाषा में महात्मा अथवा महान आत्मा एक सम्मान सूचक शब्द है। गांधी को महात्मा के नाम से सबसे पहले १९१५ में राजवैद्य जीवराम कालिदास ने संबोधित किया था। एक अन्य मत के अनुसार स्वामी श्रद्धानन्द ने 1915 मे महात्मा की उपाधि दी थी, तीसरा मत ये है कि गुरु रविंद्रनाथ टैगोर ने महात्मा की उपाधि प्रदान की थी 12अप्रैल 1919 को अपने एक लेख मे | [19]। उन्हें बापू (गुजराती भाषा में બાપુ बापू यानी पिता) के नाम से भी याद किया जाता है। एक मत के अनुसार गांधीजी को बापू सम्बोधित करने वाले प्रथम व्यक्ति उनके साबरमती आश्रम के शिष्य थे सुभाष चन्द्र बोस ने ६ जुलाई १९४४ को रंगून रेडियो से गांधी जी के नाम जारी प्रसारण में उन्हें राष्ट्रपिता कहकर सम्बोधित करते हुए आज़ाद हिन्द फौज़ के सैनिकों के लिये उनका आशीर्वाद और शुभकामनाएँ माँगीं थीं।[20] प्रति वर्ष २ अक्टूबर को उनका जन्म दिन भारत में गांधी जयंती के रूप में और पूरे विश्व में अन्तर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के नाम से मनाया जाता है।
  3. महात्मा गांधी
  4. Mahatma-Gandhi, studio, 1931.jpg
  5. जन्म
  6. 2 अक्टूबर 1869[1][2][3][4]
  7. पोरबन्दर[5][6]
  8. मृत्यु
  9. 30 जनवरी 1948[1][2][7][3][4]
  10. गाँधी स्मृति[8][9]
  11. मृत्यु का कारण
  12. मानव हत्या[10] बैलिस्टिक आघात[11]
  13. जातीयता
  14. गुजराती[12]
  15. नागरिकता
  16. ब्रिटिश राज,[3] भारतीय अधिराज्य[6]
  17. शिक्षा
  18. अल्फ्रेड हाई स्कूल, राजकोट, यूनिवर्सिटी कॉलेज, लन्दन,[3] लंदन विश्वविद्यालय
  19. व्यवसाय
  20. राजनीतिज्ञ,[13][14][15] बैरिस्टर,[13][12] पत्रकार,[12] दार्शनिक,[16][12] निबंधकार,[3] संस्मरण लेखक,[3] क्रांतिकारी
  21. ऊंचाई
  22. 164 शतिमान
  23. भार
  24. 164 शतिमान
  25. राजनैतिक पार्टी
  26. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस[12]
  27. धार्मिक मान्यता
  28. हिन्दू धर्म[3]
  29. जीवनसाथी
  30. कस्तूरबा गांधी[17][3]
  31. बच्चे
  32. हरिलाल मोहनदास गांधी,[17][18] मणिलाल गाँधी,[17][18] रामदास गांधी,[18] देवदास गांधी[18]
  33. माता-पिता
  34. करमचंद गाँधी[3] पुतलीबाई करमचंद गांधी[3]
  35. हस्ताक्षर
  36. Gandhi signature.svg
  37. सबसे पहले गान्धी जी ने प्रवासी वकील के रूप में दक्षिण अफ्रीका में भारतीय समुदाय के लोगों के नागरिक अधिकारों के लिये संघर्ष हेतु सत्याग्रह करना शुरू किया। १९१५ में उनकी भारत वापसी हुई।[21] उसके बाद उन्होंने यहाँ के किसानों, मजदूरों और शहरी श्रमिकों को अत्यधिक भूमि कर और भेदभाव के विरुद्ध आवाज उठाने के लिये एकजुट किया। १९२१ में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बागडोर संभालने के बाद उन्होंने देशभर में गरीबी से राहत दिलाने, महिलाओं के अधिकारों का विस्तार, धार्मिक एवं जातीय एकता का निर्माण व आत्मनिर्भरता के लिये अस्पृश्‍यता के विरोध में अनेकों कार्यक्रम चलाये। इन सबमें विदेशी राज से मुक्ति दिलाने वाला स्वराज की प्राप्ति वाला कार्यक्रम ही प्रमुख था। गाँधी जी ने ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीयों पर लगाये गये नमक कर के विरोध में १९३० में नमक सत्याग्रह और इसके बाद १९४२ में अंग्रेजो भारत छोड़ो आन्दोलन से खासी प्रसिद्धि प्राप्त की। दक्षिण अफ्रीका और भारत में विभिन्न अवसरों पर कई वर्षों तक उन्हें जेल में भी रहना पड़ा।
  38. गांधी जी ने सभी परिस्थितियों में अहिंसा और सत्य का पालन किया और सभी को इनका पालन करने के लिये वकालत भी की। उन्होंने साबरमती आश्रम में अपना जीवन गुजारा और परम्परागत भारतीय पोशाक धोती व सूत से बनी शाल पहनी जिसे वे स्वयं चरखे पर सूत कातकर हाथ से बनाते थे। उन्होंने सादा शाकाहारी भोजन खाया और आत्मशुद्धि के लिये लम्बे-लम्बे उपवास रखे।

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