Hindi, asked by krishna5540, 8 months ago

1. गरमी का वृक्षों पर क्या प्रभाव पड़ा?
2 'जूते फटे हुए, जिनमें से झाँक रही गाँवों की आत्मा' कविता की इस पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
3. गरमी में बड़े घर के कुत्तों को प्राप्त सुविधाओं और आम आदमी की मजबूरी की तुलना कीजिए।
4.दोपहर बीत जाने के बाद संध्या के समय भी कोई बाहर क्यों नहीं निकलता?​

Answers

Answered by bander95
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Explanation:

गरमी का वृक्षों पर बहुत प्रभाव पड़ा

बहुत गरमी के वजह से वृक्ष के पत्ते सूख गए और झड़ गए है 'जूते फटे हुए, जिनमें से झाँक रही गाँवों की आत्मा' कविता इससे अभिप्राय है कि हमारे देश की हालत बुरी है

3. गरमी में बड़े घर के कुत्तों को प्राप्त सुविधाओं और आम आदमी अmiro के कुत्ते पानी के टब में बैं कर नहा रहे है और इंसान गरमी में मर रहे है

दोपहर बीत जाने के बाद संध्या के समय भी कोई बाहर क्यों नहीं निकलता? chparo se lagte hai

Answered by Anonymous
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1. गर्मी के कारण वृक्षों के पत्ते झुलस गए। उनकी पत्तियां गिर गई। पत्र - विहीन वृक्ष एक विशाल कंकाल के जैसे दिखने लगे।

2. जूते फटे हुए, जिनमें से झांक रहे गांव की आत्मा'। कविता की इस पंक्ति का भाव यह है की दोपहरी में एक ग्रामीण गटरी में कुछ सामान उठाए जा रहा है। उसके फटे जूते से उसके पैर दिख रहे हैं। ये भारत के गांव की आत्मा जैसी है जो सुख - दुख से बेखबर हो प्रसन्न दिखाई पड़ रही है।

3. गर्मी में बड़े घरों के कुत्ते कूलर, ए•सी• में बैठकर शीतलता की अनुभूति करते हैं। वह गर्मी से बचने के लिए बाथरूम के पानी भरे टब में आंखें बंद किए पड़े रहते हैं। इसके विपरीत, आम आदमी को कदम-कदम पर गर्मी के थपेड़े सहने पड़ते हैं, क्योंकि दो वक्त की रोटी जुटाने के लिए उसे बाहर निकलना ही होता है। वह सर्दी, गर्मी, बरसात आदि की मार को अपनी नियति समझ कर सह लेता है।

4. दोपहर बीत जाने के बाद संध्या के समय भी कोई बाहर इसलिए नहीं निकलता क्योंकि शाम की गर्म हवा थपेड़े जैसी लगती थी। शाम के समय भी गर्मी कम नहीं होती थी।

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