1.गद्यांश को पढ़िए और कारक रेखांकित कीजिए-
व्यक्ति के जीवन में संतोष का बहुत महत्त्व है। संतोषी व्यक्ति सुखी रहता है। अंसतोष सब बीमारियों की जड़ है महात्मा कबीर ने कहा है कि धन-दौलत से कभी संतोष नहीं मिलता। संतोषरूपी धन मिलने पर समस्त वैभव धूल के समान प्रतीत होता है। व्यक्ति जितना अधिक धन पाता जाता है उतना ही असंतोष उपजता है। यह असंतोष मानसिक तनाव उत्पन्न करता है, जो अनेक रोगों की जड़ है। धन व्यक्ति को उलझनों में फँसाता जाता है। साधु को संतोषी बताया गया है क्योंकि भोजनमात्र से उसे संतोष मिल जाता है।
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व्यक्ति का संतोष जो कभी पूरा नही होता
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