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गद्यांश में क्रोध और अग्नि की तुलना क्यों की गई है:-
I. क्रोध और अग्नि दोनों ही बड़े गर्म होते हैं।
II क्रोध और अग्नि दोनों ही पर नियंत्रण कठिन है|
III. . तताँरा का स्वभाव बहुत गुस्से वाला था|
IV. वामीरो की माँ और तताँरा दोनों ही गुस्से में थे।
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it is correct answer
प्रश्न जिस गद्यांश पर आधारित है, वह गद्यांश नहीं दिया गया है। वह गद्यांश इस प्रकार है, और उस पर आधारित पूछे गए प्रश्न का उत्तर नीचे दिया गया है।
वामीरो के रुदन स्वरों को सुनकर उसकी माँ वहाँ पहुँची और दोनों को देखकर आग बबूला हो उठी| सारे गाँववालों की उपस्थिति में यह दृश्य उसे अपमानजनक लगा| इस बीच गाँव के कुछ लोग भी वहाँ पहुँच गए वामीरो की माँ क्रोध में उफ़न उठी। उसने तताँरा को तरह-तरह से अपमानित किया| | गाँव के लोग भी तताँरा के विरोध में आवाजें उठाने लगे। यह तताँरा के लिए असहनीय था| वामीरो अब भी रोए जा रही थी तताँरा भी गुस्से से भर उठा| उसे जहाँ विवाह की निषेध परंपरा पर क्षोभ था क्या कदम उठाना चाहिए? अनायास उसका हाथ तलवार की मूठ पर जा टिका क्रोध में उसने वहीं अपनी असहायता पर खीझा वामीरो का दुख उसे और गहरा कर रहा था उसे मालूम न था कि तलवार निकाली और कुछ विचार करता रहा। क्रोध लगातार अग्नि की तरह बढ़ रहा था।
गद्यांश में क्रोध और अग्नि की तुलना क्यों की गई है:-
I. क्रोध और अग्नि दोनों ही बड़े गर्म होते हैं।
II. क्रोध और अग्नि दोनों ही पर नियंत्रण कठिन है|
III. तताँरा का स्वभाव बहुत गुस्से वाला था|
IV. वामीरो की माँ और तताँरा दोनों ही गुस्से में थे।
इसका सही जवाब है :
II. क्रोध और अग्नि दोनों ही पर नियंत्रण कठिन है|
व्याख्या :
गद्यांश में क्रोध और अग्नि की तुलना इसलिए की गई है, क्योंकि क्रोध भी अग्नि की तरह ही भड़कता है। और फिर दोनों नियंत्रण रखना कठिन होता है। जिस तरह अग्नि को भड़काने पर उतनी ही भड़कती जाती है। उसी तरह क्रोध भी लोगों के भड़काने पर, अपमान करने पर भड़कने लगता है। फिर उस पर नियंत्रण स्थापित करना मुश्किल हो जाता है।
तताँरा के साथ भी यही हुआ। जब वह वामीरो से मिलने गया तो गाँव वालों और वामीरों की माँ उसका अपमान करना शुरू कर दिया। बहुत देर तक तताँरा इस अपमान को सहता रहा और जब अपमान सहना उसकी सहनशक्ति से बाहर हो गया तो उसका क्रोध अग्नि के समान भड़क गया। इसलिए क्रोध एवं अग्नि की तुलना की गई है।
#SPJ3
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कुछ और जानें :
https://brainly.in/question/30093830
वामीरो घर पहुँचकर भीतर ही भीतर कुछ बेचैनी महसूस करने लगी। उसके भीतर ततॉरा से मुक्त होने की एक झुठी छटपटाहट थी। एक झल्लाहट में उसने दरवाजा बंद किया और मन को किसी और दिशा में ले जाने का प्रयास किया। बार-बार तताँरा का याचना भरा चेहरा उसकी आँखों में तैर जाता। उसने ततॉरा के बारे में कई कहानियाँ सुन रखी थीं। उसकी कल्पना में वह एक अद्भुत साहसी युवक था। किन्तु वही तताँरा उसके सम्मुख एक अलग रूप में आया। सुंदर,बलिष्ठ किंतु बेहद शांत, सभ्य और भोला। उसका व्यक्तित्व कदाचित वैसा ही था जैसा वह अपने जीवन-साथी के बारे में सोचती रही थी।
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वामीरो घबराई हुई तथा अपने को छुपा ति हुए क्यों बढ़ रही थी। बहुविकल्पीय बताइये