(1)
गद्यांश में 'शुतुरमुर्ग' की संज्ञा किसे दी गई है?
I. लेखक, जो संसार को समझना चाहता है|
HI. राजनीतिज्ञ, जो अपने स्वार्थ साधना चाहता है।
पाठक, जो सपनों की दुनिया में रहना चाहता है|
नौकरशाह, जो दूसरों जैसा बनने को होड़ में शामिल है।
III.
IV.
shobhamajotra:
what's the answer???
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सही उत्तर है, विकल्प...
➲ पाठक, जो सपनों की दुनिया में रहना चाहता है।
व्याख्या:✎ ...
लेखक ने शुतुरमुर्ग की संज्ञा उस पाठक को दी है, जो सपनों की दुनिया में रहना चाहता है।
लेखक के अनुसार पाठक आमतौर पर रूढ़िवादी होते हैं, वे सामान्यतः साहित्य में अपनी स्थापित मर्यादाओं की स्वीकृति या एक स्वप्न जगत में पलायन चाहते हैं। लेखक कहता है कि साहित्य यह झटके में होने पाठकों को अपने आसपास के उस जीवन के प्रति सचेत करता है, जिसके प्रति उन्होंने आँखें मूंद रखी हैं, यानी लेखक का कहने का तात्पर्य है कि शुतुरमुर्ग अफ्रीका के रेगिस्तान में नहीं मिलते हैं, वह हर जगह बहुतायत में उपलब्ध हैं।
यहाँ पर लेखक ने शुतुरमुर्ग के की तुलना उन पाठकों से की है, जो अपने आसपास के जीवन के प्रति आँखें मूंद के रखते हैं।
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