__1. हिन्दू समाज की रूपरेखा, संस्थाएँ, विवाह, वर्णाश्रम, संयुक्त परिवार, पुरुषार्थ, कर्म और
संस्कार।
2. भारतीय जाति-प्रणाली-विचारधारा, व्युत्पति-आचरण (Characteristic) जाति में
परिवर्तन, जाति और वर्ग, शहरीकरण, भारतीय प्रणाली में सांस्कृतिकता और पाश्चात्यता का
रिणाम।
3. मुस्लिम परिवार-विवाह, महिलाओं का दर्जा, तलाक ।
___4. भारतीय समाज एवं संस्कृति पर इस्लाम और पश्चिम सभ्यता का प्रभाव ।
5. ग्रामीण समुदाय-प्रकृति, आचरण, ग्राम पंचायत-इसके अतीत, वर्तमान और भविष्य की
रेखा, पंचायती राज, उद्देश्य, संगठन और कार्य ।
6. भूत, वर्तमान एवं भविष्य में भारतीय समाज में महिलाओं का दर्जा ।
यक पुस्तकें :
1. मुखर्जी-भारतीय सामाजिक संस्थाएँ ।
2. जी. के. अग्रवाल-भारतीय सामाजिक संस्थाएँ ।
प्राचीन भारतीय इतिहास और संस्कृति (A.I.A.S.) (Pass Course)
प्राचीन भारत का राजनीतिक इतिहास
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हिंदू धर्म में विवाह को सोलह संस्कारों में से एक संस्कार माना गया है। विवाह = वि + वाह, अत: इसका शाब्दिक अर्थ है - विशेष रूप से (उत्तरदायित्व का) वहन करना। पाणिग्रहण संस्कार को सामान्य रूप से हिंदू विवाह के नाम से जाना जाता है। अन्य धर्मों में विवाह पति और पत्नी के बीच एक प्रकार का करार होता है जिसे कि विशेष परिस्थितियों में तोड़ा भी जा सकता है परंतु हिंदू विवाह पति और पत्नी क बीच जन्म-जन्मांतरों का सम्बंध होता है जिसे कि किसी भी परिस्थिति में नहीं तोड़ा जा सकता। अग्नि के सात फेरे ले कर और ध्रुव तारा को साक्षी मान कर दो तन, मन तथा आत्मा एक पवित्र बंधन में बंध जाते हैं। हिंदू विवाह में पति और पत्नी के बीच शारीरिक संम्बंध से अधिक आत्मिक संम्बंध होता है और इस संम्बंध को अत्यंत पवित्र माना गया है।
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