Hindi, asked by poppydaks5, 8 months ago

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हौं तो वही रसखानि बसौं ब्रज गोकुल गाँव के ग्वारन।
हाँ तो कहा बस मेरो चरौं नित नंद की धेनु मँझारन।।
पाहन ही तो वही गिरि को जो कियो हरिछत्र पुरंदर धारन।
जौ खग हौं तो बसेरो करौं मिलि कालिंदी कूल कदंब की डारन।
मानुष
जो पसु can anyone define this poem in English​

Answers

Answered by hansikapanchpal92
2

Explanation:

i think you should ask google

sorry for unnecessary answer

but it's common sense

sorry

purple you

bro or sis

Answered by bnida0392
0

Explanation:

इन पंक्तियों के माध्यम से रसखान जी कहना चाहते हैं कि यदि उनका पुनर्जन्म गाय के रूप में हो तो गोकुल की गायों के बीच में हो ताकि वह नंद के गायों के साथ ही रहे यदि पुनर्जन्म पत्थर के रूप में हो तो वही एक पत्थर बने जिसे श्री कृष्ण ने अपनी कानी उंगली पर उठाया था और यदि उनका जन्म पक्षी के रूप में हो तो उसी पक्षियों के रूप में हो जो कालिंदी नदी के किनारे कदम की पेड़ पर बैठी रहते हैं अर्थ इन पंक्तियों के माध्यम से यह कहना चाहते हैं कि उनका जीवन किसी भी रूप में हो मगर वह श्री कृष्ण के करीब हो अरे वह ब्रजवासी ही बने श्री कृष्ण के करीब रहना ही चाहते हैं

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