1)हमारे लोकतंत्र की कमजोरी का कारण क्या है? 2)आज राजनीति का स्तर क्यों गिरता जा रहा है? 3)लोकतंत्र के आधारभूत तत्व कौन-से हैं ? इनकी कमी का लोकतंत्र पर क्या असर पड़ा है ?
4)आम आदमी की लोकतांत्रिक आस्थाएँ क्यों इगमगाने लगती हैं?
5) लोकतंत्र को सफल बनाने के लिए क्या करना चाहिए?
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- कोई भी सभ्य समाज नियमों से ही चल सकता है। जनहितकारी नियमों को बनाने और उनके परिपालन को सुनिश्चित करने के लिए शासन की आवश्यकता होती है। राजतंत्र, तानाशाही, धार्मिक सत्ता या लोकतंत्र, नामांकित जनप्रतिनिधियों जैसी विभिन्न शासन प्रणालियों में लोकतंत्र ही सर्वश्रेष्ठ माना जाता है क्योंकि लोकतंत्र में आम आदमी की सत्ता में भागीदारी सुनिश्चित होती है एवं उसे भी जन नेतृत्व करने का अधिकार होता है। विधायिका के जनप्रतिनिधियों का चुनाव आम नागरिकों के सीधे मतदान के द्वारा किया जाता है किंतु हमारे देश में आजादी के बाद के अनुभव के आधार पर, मेरे मत में इस चुनाव के लिए पार्टीवाद तथा चुनावी जीत के बाद संसद एवं विधानसभाओं में पक्ष विपक्ष की राजनीति ही लोकतंत्र की सबसे बड़ी कमजोरी के रूप में सामने आई है।
- हमारे देश के कल के नेताओं में बलिदान का जज़्बा था, वे निःस्वार्थ सेवा भाव के साथ अपने पूरे कौशल एवं योग्यता के बल पर प्रभावी राजनीति किया करते थे। ऐसी राजनीति जिसमें कि नैतिकता एवं सिद्धान्त कूट-कूट कर भरे होते थे। ठीक इसके विपरीत आज की राजनीति मुख्य रूप से सत्ता प्राप्त करने के उद्देश्य को केन्द्र बिन्दु मानकर किया जाने वाला एक ऐसा पेशा बन कर रह गई है जिसमें अनेक अनपढ़, गुण्डे, बदमाश, लफंगे, स्वार्थी, धनार्जन की इच्छा रखने वाले, अखबार बाजी व प्रेसनोट की राजनीति कर अपने नाम को जनता के मध्य नियोजित तरीकों से उछालने वाले तथा छल कपट के द्वारा राजनीति के क्षेत्र में अपना नाम रौशन करने की कोशिश करने वालों की भीड़ नजर आती है। जिसके परिणाम स्वरूप देश में अपना नाम रौशन करने की कोशिश करने वालों की भीड़ नजर आती है। जिसके परिणाम स्वरूप देश में चारों ओर भ्रष्टाचार का वातावरण नज़र आ रहा है। आम लोगों का राजनीति तथा राजनीतिज्ञों पर से विश्वास कम होता जा रहा है।
- लोकतन्त्र (संस्कृत: प्रजातन्त्रम् ) (शाब्दिक अर्थ "लोगों का शासन", संस्कृत में लोक, "जनता" तथा तंत्र, "शासन",) या प्रजातन्त्र एक ऐसी शासन व्यवस्था और लोकतान्त्रिक राज्य दोनों के लिये प्रयुक्त होता है। यद्यपि लोकतन्त्र शब्द का प्रयोग राजनीतिक सन्दर्भ में किया जाता है, किन्तु लोकतन्त्र का सिद्धान्त दूसरे समूहों और संगठनों के लिये भी संगत है। मूलतः लोकतन्त्र भिन्न-भिन्न सिद्धान्तों के मिश्रण बनाती हैै। लोकतन्त्र एक ऐसी शासन प्रणाली है, जिसके अन्तर्गत जनता अपनी स्वेच्छा से निर्वाचन में आए हुए किसी भी दल को मत देकर अपना प्रतिनिधि चुन सकती है, तथा उसकी सत्ता बना सकती है। लोकतन्त्र दो शब्दों से मिलकर बना है ,लोक + तन्त्र लोक का अर्थ है जनता तथा तन्त्र का अर्थ है शासनl
- कोई भी शासन व्यवस्था दोषमुक्त या परिपूर्ण नहीं है। लोकतंत्र में काफी खामियां हैं, किंतु अन्य पद्धतियों के मुकाबले यह बेहतर माना गया, क्योंकि शासक चुनने का अंतिम अधिकार जनता के हाथ में होता है। विंस्टन चर्चिल का एक चर्चित वक्तव्य है कि लोकतंत्र सबसे निकृष्ट शासन पद्धति है सिवाय उनके जिनकी परख पहले की जा चुकी है। इसलिए चर्चिल ने यह भी कहा कि एक छोटा आदमी, एक छोटे बूथ में प्रवेश कर, एक छोटी पेंसिल से कागज के एक छोटे टुकड़े पर एक छोटा निशान बनाकर एक बड़ा फर्क लाता है। यानी लोकतंत्र में छोटे आदमी की सीधी भागीदारी है।
- हम अपने अंदर जागरूकता लाएं और साथ ही अपने गांव व क्षेत्र के लोगों को भी वोट डालने के लिए प्रेरित करें। जितने अधिक वोट पडे़ंगे उतनी ही कम समस्याएं हमारे सामने होंगी। इस अवसर पर जिला पंचायतीराज अधिकारी उमा महतो, जिला निर्वाचन शाखा के बीके चौबे, बीडीओ प्रदीप कुमार व सीओ डेविड बलियार सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
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हमारे भष्ट्र राजनेता के कारण हमारे लोकतंत्र का स्तर गिर गया
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