1. हमारे देश में धर्म के नाम पर क्या हो रहा है?
2. धर्म का दिखावा करने वालों को क्या अधिकार नहीं है?
3. गांधी जी ने किस को सर्वत्र सथान दिया है?
4. धर्म की आड़ पाठ के आधार पर लिखिए कि धर्म की भावना कैसी होनी चाहिए?
5. धर्म के नाम पर क्या-क्या नहीं होना चाहिए?
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Answer:
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Explanation:
1.) आज धर्म के नाम पर क्या-क्या हो रहा है? उत्तर:- आज धर्म के नाम पर लोगों को भड़काया जा रहा है, उन्हें ठगा जा रहा है और दंगे-फसाद किए जाते हैं और नाना प्रकार के उत्पात किए जाते हैं।
2.)आज धर्म करने वालों ने भी धर्म को प्रायः अवसरवादी बना दिया है। धर्म करने वालों में ऐसे भी हैं, जिनके हृदय में धर्म वास्तव में बसा ही नहीं है। आज साधु की भी अच्छी बात सुनने के लिए कितनों के पास समय है? सुसाधु के पैर छूने के लिए कभी गए हो? क्या आपने सुसाधु की चिन्ता की है? यद्यपि सुसाधु अपने धर्म के बल पर जीते हैं, न कि किसी की कृपा पर। लेकिन, आपका कर्त्तव्य क्या है? आज अधिकांश लोग वास्तव में धर्म नहीं, धर्म का दिखावा मात्र करते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि धर्म करेंगे तो दुनिया में अपना काम चलेगा, यह वृत्ति आज आप लोगों में बहुत बढ गई है, इसलिए धर्म का दिखावा चल रहा है। यदि आपने वास्तव में धर्म को अपना साथी बनाया होता तो पौद्गलिक सुख के आप इतने बडे शौकिन नहीं बनते और आपकी मनुष्यता भी इतनी धूमिल नहीं होती। ऐसे थोडे ही लोग हैं, जिनके हृदय में वास्तव में धर्म का निवास है, बाकी तो दिखावा ही है। -आचार्य श्री विजय रामचन्द्रसूरीश्वरजी महाराजा
3.)उन्होंने उस वक्त पगड़ी पहनना छोड़ दिया था. 31 अगस्त 1920 को खेड़ा में किसानों के सत्याग्रह के दौरान गांधी जी ने खादी को लेकर प्रतिज्ञा ली ताकि किसानों को कपास की खेती के लिए मजबूर ना किया जा सके. मैनचेस्टर के मिलों में कपास पहुंचाने के लिए किसानों को इसकी खेती के लिए मजबूर किया जाता था.
4.)धर्म की आड़' पाठ में निहित संदेश यह है कि सबसे पहले हमें धर्म क्या है, यह समझना चाहिए। पूजा-पाठ, नमाज़ के बाद दुराचार करना किसी भी रूप में धर्म नहीं है। अपने स्वार्थ के लिए लोगों को गुमराह कर शोषण करना और धर्म के नाम पर दंगे फसाद करवाना धर्म नहीं है। सदाचार और शुद्ध आचरण ही धर्म है, यह समझना
5.) धर्म के नाम पर हो रहे व्यापार को रोकने के लिए दृढ़ विश्वास और विरोधियों के प्रति साहस से काम लेना चाहिए। कुछ लोग धूर्तता से काम लेते हैं, उनसे बचना चाहिए और बुद्धि का प्रयोग करना चाहिए।