Hindi, asked by Appoosh, 8 months ago

1. हरिहर काका के साथ किसने-किसने मारपीट की थी ?

a. भाइयों ने
b. महंत ने
c. दोनों ने

2. गाँव में कितने पक्ष बन गए थे ?

a. एक
b. दो
c. दोनों

3. हरिहर काका की सुरक्षा के लिए कितने पुलिस के जवान मिले थे ?

a. पाँच
b. एक
c. चार

Answers

Answered by ujjwalpandey56
1

Answer:

first answer is c

second answer is b

third answer is c

Answered by mahemudkhan171
2

Explanation:

हरिहर काका लेखक मिथिलेश्वेर के पड़ोसी तथा इस कथा के नायक हैं |

गाँव में ऐसा माना जाता था कि कहीं से कोई साधु आए और एक झोंपड़ी बनाकर वहीं पूजा-पाठ करने लगे |समय के साथ-साथ यह स्थान ठाकुरबारी के रूप में विख्यात हो गया |

‘हरिहर काका‘ नामक कहानी लिखने का मूल उद्देश्य है| सगे और पराए लोगों से सावधान करना तथा समाज का चेहरा दिखाना|

स्वार्थ के लिए लोग कुछ भी करने के लिए तैयार हैं |यहाँ तक के लिए धार्मिक और सामाजिक संस्थाएँ,जो लोगों के कल्याण की बातें करतीं हैं,वे भी इससे अछूती नहीं हैं|

युवा पीढ़ी का कर्तव्य है कि वह मन लगाकर यथासंभव ऐसे व्यक्तियों की सहायता करे |वृद्धों को उचित देखभाल तथा प्रेम भरे अपनेपन की जरुरत है |उन्हें मान-सम्मान देना तथा यथोचित सेवा करना युवा पीढ़ी का परम कर्तव्य होना चाहिए |

हरिहर काका के पास ज़मीं-जायदाद है फिर भी वे शोषित वर्ग के प्रतिनिधि के रूप में नज़र आते हैं| उनके सगे भाइयों के परिवार और सामाजिक व्यवस्था ने अपना स्वार्थ साधने के लिये उन्हें शोषण का शिकार एवं खिन्न मनोवृत्ति वाला बना दिया है|

महंत के आदमियों ने हरिहर काका को कई बार ज़मीन जायदाद ठाकुरबारी के नाम कर देने को कहा । मंहत ने अपने चेले साधुसंतो के साथ मिलकर उनके हाथ पैर बांध दिए, मुँह में कपड़ा ठूँस दिया और जबरदस्ती अँगूठे के निशान लिए, उन्हें एक कमरे में बंद कर दिया। जब पुलिस आई तो स्वयं गुप्त दरवाज़े से भाग गए ।

लेखक की राय ठाकुरबारी के बारे में बहुत अच्छी नहीं है| उसके विचार में यहाँ रहने वाले साधु-संत कुछ करते नहीं हैं | हाँ ठाकुरजी को भोग लगाने के नाम पर अच्छा-अच्छा भोजन करते हैं| सके अतिरिक्त वे लोगों को अपनी बातों से मूर्ख बनाते हैं |

कहानी के आधार पर गाँव के लोगों को बिना बताए पता चल गया कि हरिहर काका को उनके भाई नहीं पूछते। इसलिए सुख आराम का प्रलोभन देकर महंत उन्हें अपने साथ ले गया। भाई मन्नत करके काका को वापस ले आते हैं। इस तरह गाँव के लोग दो पक्षों में बँट गए कुछ लोग महंत की तरफ़ थे जो चाहते थे कि काका अपनी ज़मीन धर्म के नाम पर ठाकुरबारी को दे दें ताकि उन्हें सुख आराम मिले, मृत्यु के बाद मोक्ष,यश मिले। महंत ज्ञानी है वह सब कुछ जानता है लेकिन दूसरे पक्ष के लोग कहते कि ज़मीन परिवार वालों को दी जाए। उनका कहना था इससे उनके परिवार का पेट भरेगा। मंदिर को ज़मीन देना अन्याय होगा। इस तरह दोनों पक्ष अपने-अपने हिसाब से सोच रहे थे, परन्तु हरिहर काका के बारे में कोई नहीं सोच रहा था। इन बातों का एक कारण यह भी था कि काका विधुर थे और उनके कोई संतान भी नहीं थी। पंद्रह बीघे ज़मीन के लिए इनका लालच स्वाभाविक था।

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