History, asked by rk3921989, 5 months ago

(1) इन गांव वालों से व्यवहार करने में अंग्रेजों के सामने आने वाली समस्याओं की परख
कीजिए।​

Answers

Answered by shreyachoudhari1971
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Explanation:

बहुत प्राचीन काल से भारतवर्ष का विदेशों से व्यापार हुआ करता था। यह व्यापार स्थल मार्ग और जल मार्ग दोनों से होता था। इन मार्गों पर एकाधिकार प्राप्त करने के लिए विविध राष्ट्रों में समय-समय पर संघर्ष हुआ करता था। जब इस्लाम का उदय हुआ और अरब, फारस मिस्र और मध्य एशिया के विविध देशों में इस्लाम का प्रसार हुआ, तब धीरे-धीरे इन मार्गों पर मुसलमानों का अधिकार हो गया और भारत का व्यापार अरब निवासियों के हाथ में चला गया। अफ्रीका के पूर्वी किनारे से लेकर चीन समुद्र तक समुद्र तट पर अरब व्यापारियों की कोठियां स्थापित हो गईं। यूरोप में भारत का जो माल जाता था वह इटली के दो नगर जिनोआ और वेनिस से जाता था। ये नगर भारतीय व्यापार से मालामाल हो गए। वे भारत का माल कुस्तुन्तुनिया की मंडी में खरीदते थे। इन नगरों की धन समृद्धि को देखकर यूरोप के अन्य राष्ट्रों को भारतीय व्यापार से लाभ उठाने की प्रबल इच्छा उत्पन्न इस इच्छा की पूर्ति में सफल न हो सके। बहुत प्राचीन काल से यूरोप के लोगों का अनुमान था कि अफ्रीका होकर भारतवर्ष तक समुद्र द्वारा पहुंचने का कोई न कोई मार्ग अवश्य है। चौदहवीं शताब्दी में यूरोप में एक नए युग का प्रारंभ हुआ।

Answered by Braɪnlyємρєяσя
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Explanation:

बहुत प्राचीन काल से भारतवर्ष का विदेशों से व्यापार हुआ करता था। यह व्यापार स्थल मार्ग और जल मार्ग दोनों से होता था। इन मार्गों पर एकाधिकार प्राप्त करने के लिए विविध राष्ट्रों में समय-समय पर संघर्ष हुआ करता था। जब इस्लाम का उदय हुआ और अरब, फारस मिस्र और मध्य एशिया के विविध देशों में इस्लाम का प्रसार हुआ, तब धीरे-धीरे इन मार्गों पर मुसलमानों का अधिकार हो गया और भारत का व्यापार अरब निवासियों के हाथ में चला गया। अफ्रीका के पूर्वी किनारे से लेकर चीन समुद्र तक समुद्र तट पर अरब व्यापारियों की कोठियां स्थापित हो गईं। यूरोप में भारत का जो माल जाता था वह इटली के दो नगर जिनोआ और वेनिस से जाता था। ये नगर भारतीय व्यापार से मालामाल हो गए। वे भारत का माल कुस्तुन्तुनिया की मंडी में खरीदते थे। इन नगरों की धन समृद्धि को देखकर यूरोप के अन्य राष्ट्रों को भारतीय व्यापार से लाभ उठाने की प्रबल इच्छा उत्पन्न इस इच्छा की पूर्ति में सफल न हो सके। बहुत प्राचीन काल से यूरोप के लोगों का अनुमान था कि अफ्रीका होकर भारतवर्ष तक समुद्र द्वारा पहुंचने का कोई न कोई मार्ग अवश्य है। चौदहवीं शताब्दी में यूरोप में एक नए युग का प्रारंभ हुआ।

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