Hindi, asked by sanjaymsatna009, 4 months ago

1. इन पंक्तियों के अर्थ स्पष्ट कीजिए-

(ख) मगर बुझ स्वयं ज्योति जो दे गए वे,
उसी से तिमिर को उजाला मिलेगा।​

Answers

Answered by Anonymous
5

Answer:

श्री द्वारिका प्रसाद महेश्वरी द्वारा रचित प्रस्तुत कविता के माध्यम से स्नेह के दिए जला कर हिंसा , द्वेष , लोभ , मोह रूपी अंधकार को दूर करने की और प्रेम भावना का प्रसार प्रेरणा दी गई है ।

कवि कहते है कि जिस प्रकार एक छोटा सा दीप अंधकार को दूर करता है उसी प्रकार स्नेह/ प्रेम भावना भी संसार से हिंसा , द्वेष , लोभ , मोह जैसी बुराइयों को खत्म कर देता है। जिस प्रकार एक दिए की लौ समस्त संसार से अंधेरे को मिटाने की क्षमता रखती हैं उसी प्रकार प्रेम से किसी के भी हृदय को छुआ जा सकता है और बड़ी से बड़ी बुराइयों को खत्म किया जा सकता है। इसलिए यह जरूरी है कि हम प्रेम का प्रचार और प्रसार हमेशा करें और मनुष्यता में अपना विश्वास बनाए रखे।

कवि कहते है कि मनुष्य के जीवन में समय समय पर कठिनाइयां आती है और उन्हें अपने जीवन में कठिनाइयो , निराशाओं, हताशाओ और चुनोतियो जैसे गहरे अंधकार का सामना करना पड़ता है। एसी कठिनाइयो , निराशाओं, हताशाओ और चुनोतियो को मनुष्य ने न केवल अपनाया/ स्वीकार किया है बल्कि उन्होंने इन कठिनतम परिस्थिति में अपने आत्मबल द्वारा नई राह खोजी है। निराशा रूपी नदी को मनुष्य ने सदैव आशा रूपी दीप की नाव बनाकर पार किया है। निराशा चाहे कितनी भी गहरी और हताश करने वाली हो मनुष्य को परतु वह निराशा एक दिन ज़रूर समाप्त होती है अर्थात अंधेरी रात्रि के बाद सवेरा अवश्य आता है। इसलिए हमे इन निराशाओं का लगातार दृढ़ निश्चय से सामना करते रहना चाहिए। इस लिए कवि मनुष्य को विपरीत स्थिति में हमेशा प्रयासरत रहने के लिए कहते है क्यों कि हम लगातार प्रयास द्वारा ही कठिन से कठिन लक्षय की प्राप्ति कर लेते है। निरंतर प्रयास द्वारा ही हम नाए दिन और नए लक्षय की प्राप्ति कर सकते है।

कवि का कहना है कि युगों से मनुष्य को चुनौतियां देने के लिए बाधाएं हमेशा उत्पन्न हुई है। मनुष्य के जीवन में छोटे से लेकर बड़े लक्ष्य की प्रा्ति में भी चुनौतिया उनके समक्ष आती रही है परंतु जो व्यक्ति इन चुनौतियों का सामना निरंतर करता जाता है वही व्यक्ति अपने जीवन में सफलता पाता है।इसलिए हमे लक्ष्य की प्राप्ति का दृढ़ निश्चय और प्रतिज्ञा करनी चाहिए तथा निरंतर प्रयास भी करना चाहिए।

कवि कहते हैं कि समय साक्षी है कि कई बार एक छोटा सा दीप जो पवन से या तेज़ चलने वाले तूफान से बुझ जाता है, वह दीप कुछ समय के लिए भी किसी राहगीर को राह दिखाता है और उसे उसके लक्ष्य प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है अर्थात ऐसा भी हुआ है कि मनुष्य ने चुनौतियों से हार मान ली या चुनौतियों का सामना करते हुए/ निरंतर प्रयास करते हुए स्वयं को समाप्त कर दिया परंतु इन तूफ़ानों से बुझने वाले दिये रूपी उत्सर्ग होने वाले व्यक्ति हमारे जीवन को नई दिशा दिखाते हैं और मन में आशा की ज्योति जलाते हैं।

कवि कहते है कि कई बार मनुष्य को अपने प्रयासों में सफलता नहीं मिलती है, परंतु उनके प्रयास हमे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते है, हार न मानने के लिए प्रेरित करते है। इसलिए जो व्यक्ति रुक गए, पराजित हो गए या जो किसी वजह से अपने लक्षय की प्राप्ति न कर। सके, उनका प्रयासरत होना भी हमेआगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। अंतिम पक्तियो में कवि ने दीए और तूफान के बीच द्वांध को दर्शाया है। जीवन में तूफान चुनौतियों का और दीया चुनौतियों को स्वीकार करने वालो का प्रतीक है। दीए और तूफान के इस द्वंद्व में जीत सदैव दीए की होती है अर्थात चुनौतियों को स्वीकार करने वाले व्यक्ति की होती है।

कवि केहे है कि यदि इस संसार में एक भी दृढ़ व्यक्ति रहेगा तो वह सभी कठिनाइयों और चुनौतियों को पार कर एक नया स्वर्णमय युग की शुरुआत करेगा और वह एक ऐसा युग होगा जिसका आधार प्रेम, स्नेह और सहृदयता होगा। निराशाओं वाली नकारात्मक रात भी मनुष्य के सकारात्मक दृष्टि कोण को बदल नहीं पाएगी। इसलिए यह आवश्यक है कि हम दृढ़ प्रतिज्ञ और निरंतर प्रयासरत रहे। मनुष्य जाति में प्रेम तथा स्नेह का संचार करे और आशा रूपी दीप को निरंतर जलाते चले।

 

Explanation:

Similar questions