1. इस पाठ के आधार पर निम्नलिखित वचनों का अर्थ लिखो :
(क) धृति, क्षमा, दमोऽस्तेय, शौच, इन्द्रियनिग्रह,
धीविद्या, सत्यं, अक्रोधः।
(ख) आत्मनः प्रतिकूलानि परेषां न समाचरेत्।
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I will mark it on my calendar and I will do.
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धृति क्षमा दमोस्तेयं, शौचं इन्द्रियनिग्रहः। ... धर्म के दस लक्षण हैं - धैर्य, क्षमा, संयम, चोरी न करना, स्वच्छता, इन्द्रियों को वश मे रखना, बुद्धि, विद्या, सत्य और क्रोध न करना।
(2) प्राणी मात्र सुख चाहता है, इसमें कोई दो राय नहीं है। संसार की शानौशोकत और राग-रंग में सुख नहीं है; दुःख रहित, सम्पूर्ण और शाश्वत सुख धर्म में ही है। पाप से दुःख और धर्म से सुख होता है, यह भी तय है। तो हम इस पर विचार करें कि जिससे सुख मिलता है, वह धर्म कौनसा है? आर्यावृत्त के सर्वोत्तम आदर्शों के अनेक प्रतिबिम्बों में से एक सुन्दर प्रतिबिम्ब हृदय में धारण कर एक कवि ने संसार के प्राणियों को संक्षेप में सभी धर्मों का सार तत्त्व समझाने का प्रयास किया है-
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