1. जाति-व्यवस्था से आप क्या समझते हैं?
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2. अस्पृश्यता का क्या अर्थ है? इसे अमानवीय क्यों कहा गया है?
वर्गों के उद्धार में उनके
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Answer:
1) जाति व्यवस्था हिंदुओं के सामाजिक जीवन की विशिष्ट व्यवस्था है, जो उनके आचरण, नैतिकता और विचारों को सर्वाधिक प्रभावित करती है। यह व्यवस्था कितनी पुरानी है, इसका उत्तर देना कठिन है। सनातनी हिन्दू इसे दैवी या ईश्वर प्रेरित व्यवस्था मानते हैं और ऋग्वेद से इसका सम्बंध जोड़ते हैं। लेकिन आधुनिक विद्वान् इसे मानवकृत व्यवस्था मानते हैं जो किसी एक व्यक्ति द्वारा कदापि नहीं बनायी गई वरन् विभिन्न काल की परिस्थितियों के अनुसार विकसित हुई। यद्यपि प्राचीन धार्मिक ग्रंथों में मनुष्यों को चार वर्णों में विभाजित किया गया है- ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र तथा प्रत्येक वर्ण का अपना विशिष्ट धर्म निरूपित किया गया है तथा अंतर्जातीय भोज अथवा अंतर्जातीय विवाह का निषेध किया गया है, तथापि वास्तविकता यह है कि हिन्दू हज़ारों जातियों और उपजातियों में विभाजित है और अंतर्जातीय भोज तथा अंतर्जातीय विवाह के प्रतिबन्ध विभिन्न समय में तथा भारत के विभिन्न भागों में भिन्न भिन्न रहे हैं। आजकल अंतर्जातीय भोज सम्बंधी प्रतिबंध विशेषकर शहरों में प्राय: समाप्त हो गये हैं और अंतर्जातीय विवाह संबंधी प्रतिबंध भी शिथिल पड़ गये हैं। फिर भी जाति व्यवस्था पढ़े-लिखे भारतीयों में प्रचलित है और अब भी इस व्यवस्था के कारण हिंदुओं को अन्य धर्मावलम्बियों से सहज ही अलग किया जा सकता है।
2)=अस्पृश्यता का शाब्दिक अर्थ है - न छूना। इसे सामान्य भाषा में 'छूआ-छूत' की समस्या भी कहते हैं। ... ये मान्यता है कि अस्पृश्य या अछूत लोगों से छूने, यहाँ तक कि उनकी परछाई भी पड़ने से उच्च जाति के लोग 'अशुद्ध' हो जाते है और अपनी शुद्धता वापस पाने के लिये उन्हें पवित्र गंगा-जल में स्नान करना
हमारे देश में गरीबी का एक कारण छुआछूत भी है। जब तक अछूत लोगों को समाज की मुख्यधारा में स्थान नहीं मिल जाता तब तक देश का समुचित विकास कभी नहीं हो सकता है। ... हमारी सरकार अछूतों की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए अनेक प्रयास कर रही है। जो लोग अछूत माने जाते हैं उन्हें भी अपनी तरफ से कुछ प्रयास करने चाहिए।
Answer:
अंग्रेजी का(csaste) शब्द पुर्तगाली शब्द caste से बना है
जिस का अर्थ प्रजाती, जन्म या भेद होत हे। अर्थ मे जाती-
प्रथा प्रजातिय या जन्मजात भेद के आधार पर व्यवस्था हे
परंतु जैसे आगे चल कर स्पष्ट हा भारतीय जाती- प्रथा
इस आधार पर नही समजी नही सकती