Hindi, asked by hemalatha1611sujan, 2 months ago

1) जीवन में घटित कोई अविस्मरणीय घटना पर एक लेख लिखिए।​

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Answered by HarshitKumar07
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Answer:

हमारा जीवन एक नदी के समान हैं. इसमें उतार चढ़ाव आते रहते हैं. हमारे जीवन में घटित घटनाएं होती रहती हैं. कई घटनाएं ऐसी होती हैं. जो हमारे मानस पटल पर छायी रहती हैं. और जो भुलाएँ नहीं भूलती हैं. यहाँ एक ऐसी ही आँखों देखी घटना का वर्णन किया जा रहा हैं. जिसकों मैं कभी भूला नहीं पाउगा.

यात्रा का उद्देश्य व कार्यक्रम- दीपावली की छुट्टियों में मैं अपने मामा के घर अजमेर गया. सभी से मिला, प्रसन्नता हुई. आस पडोस और मामाजी के बच्चों के साथ खेलते हुए दिन कब बीत जाता है, इसका पता ही नहीं चलता हैं. एक दिन हम सभी ने पुष्कर नहाने की योजना बनाई. मामाजी से आज्ञा लेकर हम पांच जने बस द्वारा पुष्कर नहाने के लिए गये.

मनोरम प्रसंग- पुष्कर पहुचकर देखा कि वहां अपार भीड़ थी. ग्रामीण रंग बिरंगी पोशाके पहने आनन्द ले रहे थे. सरोवर घाट पर बच्चे, आदमी, औरतें सभी स्नान कर रहे थे. मैं भी अपने साथियों के साथ नहाने के लिए जल में घुसा, उसी समय मैंने देखा कि एक महिला ने पहले स्नान किया, फिर वह लगभग आठ वर्ष के अपने बालक को नहलाने लगी. बालक अपनी चंचलता के कारण अपनी माँ के हाथों से छूट गया और गहरे पानी की ओर चला गया. बालक पानी के अंदर डूबने लगा, यह देखकर माँ रोने और चिल्लाने लगी.

घटित घटना और अविस्मरणीय दृश्य- माँ के रोने और चीखने की आवाज को सुनकर लोगों की भीड़ एकत्र हो गई. सभी डूबते बालक पर नजरे लगाए हुए थे. जब वह पानी के उपर नहीं आया तो गोताखोरों ने बालक की तलाश की लेकिन उन्हें भी उस डूबे बालक का शव नहीं मिला.

इतने में ही सरोवर के बीच में कुछ काली सी वस्तु दिखाई दी. आशा की लहर जगी. मल्लाह लोग और तैराक उस वस्तु की ओर गये. उन्हें थोड़ी दूर पर बालक का हाथ दिखाई दिया. और दुसरे ही क्षण दिखाई दिया कि एक बालक को मुहं में दबाएँ उपर आया और एकदम दूर चला गया. मगर के जबड़े में बालक का कटा हुआ पंजा पानी में सूखे पत्ते की तरह तैर रहा था.  

इस भयानक दृश्य को देखकर खड़ी भीड़ के कलेजे की धड़कने बढने लगी. चारों ओर सन्नाटा छा गया. यह देखकर बालक की माँ रोते रोते बेहोश हो गई. मैं इस दृश्य को देखने में असमर्थ था और दुखी मन से अपने साथियों के साथ वापिस आ गया.

उपसंहार- मैंने जीवन में अनेक घटनाएं देखी, परन्तु ऐसी करूण घटना जीवन में अभी तक एक ही बार देखी. उसे बार बार भूलने का प्रयत्न करने पर भी वह दृश्य मेरी आँखों के सामने आ जाता हैं. और मैं शोक विहल हो जाता हूँ. मेरे जीवन के लिए तो यह एक अविस्मरणीय घटना हैं. इसे मैं कभी नहीं भूल सकूगा.

Answered by Anonymous
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Answer:

Explanation:

जीवन में कुछ घटनाएँ ऐसी घटती है कि हम जीवन भर उसे भूला नहीं पाते। यह अविस्मरणीय होती है। एक ऐसी ही घटना मेरे जीवन में भी घटी थी जो मुझे अक्सर याद आती है। तब मैं बहुत रोमांचित हो उठता हूँ। यह उस समय की बात है जब मैं दिल्ली से बेंगलूरु नहीं आया था। एक बार हमारे स्कूल में प्रवास का कार्यक्रम बनाया गया। हमारे स्कूल के दसवीं कक्षा के सभी छात्र इसके लिए तैयार हो गए। यह कार्यक्रम एक नहर के किनारे बनाया गया था। हम सभी प्रातः वहाँ पहुँच गए। हमारे अध्यापक भी हमारे साथ थे। हम सभी घर से खाना लेकर पहुँचे थे। हमारे कक्षा अध्यापक ने सभी छात्रों को सख्त हिदायत दी थी कि कोई भी बिना बताए इधर – उधर नहीं जाएगा। हमनें क्रिकेट खेला। कुछ छात्र जिन्हें क्रिकेट में रुचि नहीं थी वे आसपास ही टहलने लगे। बहुत ही सुन्दर दृश्य था। लड़कियां अंताक्षरी खेल रही थी। खेलकूद के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन हुआ। छात्र एवं छात्राओं ने नृत्य प्रस्तुति दी।दोपहर हो चुकी थी। तभी अध्यापकों का ध्यान कुछ छात्रों पर गया। वे वहाँ उपस्थित नहीं थे। सबको बहुत चिन्ता हुयी। अध्यापकों ने कुछ छात्रों की टोलियां बनाकर स्वयं भी उन्हें खोजने निकले। मैं भी एक समूह में था। हम नहर के आसपास उन्हें ढूँढ़ने लगे। तभी हमें कुछ लोगों के चिल्लाने की आवाज आईं। बचाओं! बचाओं! हमने देखा कि हमारे कुछ साथी पानी में थे। एक छात्र था जिसे तैरना नहीं आता था। वह डूब रहा था। कोई भी आगे बढ़कर बचाने की हिम्मत नहीं कर पा रहा था। वह गहरे पानी की तरफ चला गया था। उसे असहाय स्थिति में देख मैंने आव देखा न ताव पानी में कूद पड़ा। मुझे तैराकी आती थी। मैं तैरते हुए उसके पास पहुँचा। मैंने उसे कसकर पकड़ा और तैरते हुए उसे वापस किनारे की ओर खींचने लगा। तब तक हमारे अध्यापक और बाकी छात्र भी वहाँ पहुँच चुके थे। वे मेरा हौसला बढ़ाने लगे। मैं उस छात्र को किनारे पर ले आया। उसके पेट में पानी भर चुका था। उसे निकाला। किस्मत से वह बच गया। अध्यापकों ने मेरी तुरंत बुद्धि की काफी तारीफ की। सबकी साँस में साँस आई। मुझे खुशी थी कि मैंने अपनी ही कक्षा के एक सहपाठी की जान बचाई। अगले दिन समाचार पत्रों में मेरे साहस के बारे में खबर छपी थी। हमारे प्राचार्य ने वार्षिक समारोह में मुझे पारितोषिक देकर पुरस्कृत किया। मैं अपने जीवन की इस अविस्मरणीय घटना को कभी भूल नहीं सकता।

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