1) जग मे किसकी हँसी होती है?
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¿ जग मे किसकी हँसी होती है ?
✎... उस व्यक्ति की जग में हँसी होती है, जो बिना सोचे समझे कोई कार्य करता है।
‘कुंडलिया छंद’ पाठ में कवि गिरधर राय कहते हैं कि जो व्यक्ति बिना सोचे समझे कोई भी कार्य को करता है, उसकी जग हंसाई होती है। बिना सोचे समझे कार्य करने से बाद में सदैव पछतावा होता है और उसकी जग में हंसी होती है। जब में हंसी होने पर उसका मन अशांत रहता है। इस स्थिति में वह स्वयं को अपमानित और दुखी महसूस करता है। इसलिए इन सारी स्थितियों से बचने के लिए कोई भी कार्य करने से पहले भली-भांति सोच विचार कर लेना चाहिए।
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