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1. जल संवार प्रबंधन क्या है? सतत पोषणीय विकास में इसका क्या महत्व है?
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Answer:
संसाधन हमारे लिये अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। लेकिन हम संसाधनों का अंधाधुंध इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे कई समस्याएँ खड़ी हो रही हैं। कुछ उदाहरण नीचे दिये गये हैं।
कुछ संसाधन कुछ सीमित लोगों के हाथों में है। इससे दूसरे लोगों को तकलीफ होती है।
संसाधन के अंधाधुंध इस्तेमाल से पूरी दुनिया में पर्यावरण की समस्या उत्पन्न हो गई है, जैसे कि ग्लोबल वार्मिंग, पारितंत्र पर खतरा, ओजोन लेयर में सुराख, आदि।
संसाधन का समान रूप से वितरण और सही इस्तेमाल इसलिये जरूरि है ताकि सतत पोषणीय विकास हो सके।
सतत पोषणीय विकास: जब विकास होने के क्रम में पर्यावरण को नुकसान न पहुँचे और भविष्य की जरूरतों की अनदेखी न हो तो ऐसे विकास को सतत पोषणीय विकास कहते हैं।
संसाधनों के सही इस्तेमाल और सतत पोषणीय विकास के मुद्दे पर 1992 में रियो डे जेनेरो में अर्थ समिट का आयोजन किया गया था। इस सम्मेलन में एक सौ राष्ट्राध्यक्ष शामिल हुए थे। वे सभी एजेंडा 21 पर सहमत हुए थे। इस एजेंडा का मुख्य मुद्दा था सतत पोषणीय विकास और संसाधन का सही इस्तेमाल। इस एजेंडा मे समान हितों, पारस्परिक जरूरतों और सम्मिलित जिम्मेदारियों को ध्यान में रखते हुए विश्व सहयोग की बात की गई है ताकि पर्यावरण की क्षति, गरीबी और रोगों से मुकाबला किया जा सके।
संसाधन नियोजन:
संसाधन नियोजन के द्वारा हम संसाधनों का विवेकपूर्ण इस्तेमाल कर सकते हैं। भारत में संसाधनों का वितरण समुचित नहीं है। ऐसे में संसाधन नियोजन और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। कई राज्यों के पास प्रचुर मात्रा में खनिज तो अन्य संसाधनों का अभाव है। झारखंड में खनिजों के प्रचुर भंडार हैं लेकिन वहाँ पेय जल और अन्य सुविधाओं का अभाव है। मेघालय में जल की कोई कमी नहीं है लेकिन वहाँ अन्य संसाधनों का अभाव है। इसलिए इन क्षेत्रों का सही विकास नहीं हो पाया है। ऐसे में होने वाली समस्या को हम संसाधनों के विवेकपूर्ण इस्तेमाल से ही कम कर सकते हैं।