1. जलचक्र क्या है? question answer please
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जल-चक्र
जल-चक्र क्या है ?
जल चक्र प्रक्रिया
जल-चक्र क्या है ?
जल की एक मुख्य विशेषता यह है कि यह अपनी अवस्था आसानी से बदलसकता है । यह ग्रह पर अपनी तीन अवस्थाओं, ठोस, द्रव तथा गैस के रूप में आसानी से प्राप्त हो जाता है । पृथ्वी पर जल की मात्रा सीमित है । जल का चक्र अपनी स्थिति बदलते हुए चलता रहता है जिसे हम जल चक्र अथवा जलविज्ञानीय चक्र कहते हैं । जलीय चक्र की प्रक्रिया जल-मंडल, एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ वातावरण तथा पृथ्वी की सतह का सारा जल मौजूद होता है । इस जलमंडल में जल की गति ही जल चक्र कहलाता है ।
Explanation:
यह संपूर्ण प्रक्रिया बहुत ही सरल है जिसे 6 भागों में विभाजित किया गया है।
क - वाष्पीकरण/वाष्पोत्सर्जन
ख - द्रवण
ग - वर्षण
घ - अंतः-स्यंदन
ड - अपवाह
च - संग्रहण
जब वातावरण में जल वाष्प् द्रवित होकर बादलों का निर्माण करते है, इस प्रक्रिया को द्रवण कहते हैं । जब वायु काफी ठण्डी होती है तब जल वाष्प् वायु के कणों पर द्रवित होकर बादलों का निर्माण करता है । जब बादल बनते हैं तब वायु विश्व में चारो ओर ले जाकर जल वाष्प को फैलाती है । अन्ततः बादल आद्रता को रोक नहीं पाते तथा वे हिम, वर्षा, ओले आदि के रूप में गिरते हैं ।
अगले तीन चरण - अंतःस्यंदन, अपवाह तथा वाष्पीकरण एक साथ होते हैं । अंतःस्यंदन की प्रक्रिया वर्षा के भूमि में रिसाव के कारण होती है । यदि वर्षा तेजी से होती है तो इससे भूमि पर अंतः स्यंदन की प्रक्रिया हो कर अपवाह हो जाता है । अपवाह जल स्तर पर होता है तथा नहरों, नदियों में प्रवाहित होते हुए बड़ी जल निकायों जैसे झीलों अथवा समुद्र में चला जाता है । अंतस्यांदित भू-जल भी इसी तरह प्रवाहित होता है क्योंकि यह नदियों का पुनर्भरण करता है तथा जल की बड़ी निकायों की ओर प्रवाहित हो जाता है । सूर्य की गर्मी से जल का वाष्पों में बदलने को वाष्पीकरण कहते है । सूर्य की रोशनी समुद्र तथा झीलों के जल को गर्म करती है तथा गैस में परिवर्तित करती है । गर्म वायु वातावरण में ऊपर उठकर द्रवण की प्रक्रिया से वाष्प बन जाती है ।
जलीय चक्र निरंतर चलता है तथा स्रोतों को स्वच्छ रखता है । पृथ्वी पर इस प्रक्रिया के अभाव में जीवन असंभव हो जाएगा ।
A᭄nswer:-
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Explanation:
जल चक्र पृथ्वी पर उपलब्ध जल के एक रूप से दूसरे में परिवर्तित होने और एक भण्डार से दूसरे भण्डार या एक स्थान से दूसरे स्थान को गति करने की चक्रीय प्रक्रिया है जिसमें कुल जल की मात्रा का क्षय नहीं होता बस रूप परिवर्तन और स्थान परिवर्तन होता है। अतः यह प्रकृति में जल संरक्षण के सिद्धांत की व्याख्या है।
इसके मुख्य चक्र में सर्वाधिक उपयोग में लाए जाने वाला जल रूप - पानी (द्रव) है जो वाष्प बनकर वायुमण्डल में जाता है फिर संघनित होकर बादल बनता है और फिर बादल बनकर ठोस (हिमपात) या द्रव रूप में वर्षा के रूप में बरसता है। हिम पिघलकर पुनः द्रव में परिवर्तित हो जाता है। इस तरह जल की कुल मात्रा स्थिर रहती है।
यह पृथ्वी के सम्पूर्ण पर्यावरण रुपी पारिस्थितिक तंत्र में एक भूजैवरसायन चक्र (Geobiochemical cycle) का उदाहरण है। उन सभी घटनाओं का एक पूर्ण चक्र जिसमें होकर पानी, वायुमंडलीय जलवाष्प के रूप में आरंभ होकर द्रव्य या ठोस रूप में बरसता है और उसके पश्चात्त् वह भू-पृष्ठ के ऊपर या उसके भीतर बहने लगता है एवं अन्ततः वाष्पन तथा वाष्पोत्सर्जन द्वारा पुनः वायुमंडलीय जल-वाष्प के रूप में बदल जाता है।
जल के समुद्र से वायुमण्डल में तथा फिर भूमि पर बहुत सी अवस्थाओं जैसे अवक्षेपण अंतरोधन अपवाह, अन्त: स्यन्दन अन्त: स्त्रवण भौमजल संचयन वाष्पन तथा वाष्पोत्सर्जन इत्यादि प्रक्रियाओं के बाद पुन: समुद्र में वापिस जाने का घटना चक्र।
जलीय परिसंचरण (circulation) द्वारा निर्मित एक चक्र जिसके अंतर्गत जल महासागर से वायुमंडल में, वायुमंडल से भूमि (भूतल) पर और भूमि से पुनः महासागर में पहुँच जाता है। महासागर से वाष्पीकरण द्वारा जलवाष्प के रूप में जल वायुमंडल में ऊपर उठता है जहाँ जलवाष्प के संघनन से बादल बनते हैं तथा वर्षण (precipitation) द्वारा जलवर्षा अथवा हिमवर्षा के रूप में जल नीचे भूतल पर आता है और नदियों से होता हुआ पुनः महासागर में पहुँच जाता है। इस प्रकार एक जल-चक्र पूरा हो जाता ह|
सागर से वायुमंडल तथा थल पर से होता हुआ वापस सागर तक जाने वाला जल का परिसंचरण चक्र। जल वापस सागर तक थल पर से बहता हुआ अथवा भूमिगत मार्गों से पहुंचता है। इस निरंतर चलते रहने वाले चक्र में जल अस्थायी रूप से जीवों में तथा ताजे पानी बर्फिली जमावटों अथवा भूमिगत भंडारों के रूप में जमा होता रहता है|