1. कंचे जब जार से निकलकर अप्पू के मन की कल्पना में समा जाते हैं, तब
क्या होता है?
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कंचे जब जार से निकलकर अप्पू के मन की कल्पना में समा जाते हैं। तब उसे जार और कंचो के अतिरिक्त और कुछ नहीं दिखाई देता। दुकान में रखा कंचो से भरा जार उसे ऐसा प्रतीत होता है जैसे जार आकाश में सभी बड़ा हो गया हो वह उसके अंदर चला जाता है। वहां उसे कोई बच्चा दिखाई नहीं देता। फिर भी वह बहुत खुश है क्योंकि वह उसे अकेले खेलने की आदत है। वह अपने चारों ओर कंचे बिखेरकर मजे से खेलने लगा। हरी लकीर वाले सफेद गोल कंचे इस तरह उसके दिमाग पर छा गए है कि कक्षा में भी वह पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे सका। इस कारण उसे सजा भी मिली।
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