(1) किस
ऋतुराज काहा गया है? बम
ठापा
an
ऋतु
को
(2) भगवान के डाकियो की लाई चिट्ठियो को कौन पडता है?
(3) कौन सा जीवन मुल्य अभी तक नष्ट नही हुआ?
(4) ‘क्या निराश हुआ जाए' मे लेखक ने रेल्वे स्टेशन पर क्या गलती की?
(5) कबीर की साखिया मे कवि का मन कितनी दिशाओ मे घूमता है?
(6) वस्तु विनिमय क्या है?
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1) ऋतुराज रितु को कहा गया है
2) भगवान की लाई दा की की लाई दा करके चिट्ठी को पेड़ पौधे और प्रकाश आकाश पढ़ते हैं
6) एक वस्तु के बदले दूसरी वस्तु लिया या दिया जाए वस्तु की अदला-बदली को वस्तु विनिमय कहा जाता है
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- इस ऋतु में बसंत पंचमी होली आदि त्यौहार आते हैं । इसलिेए बसंत को ऋतुराज कहा जाता है।
- भगवान की बनाई इस दुनिया में मनुष्य ने ही स्वयं को बाँटा है इसलिए ये चिट्ठियाँ वे नहीं पढ़ पाते केवल प्रकृति ही इसे पढ़ पाती है क्योंकि नदी, जल, हवा, अपनी ठंडक, पेड़-पौधें, फूल अपनी सुगंध समान भाव से बाँटते हैं।
- नैतिकता
- दस की जगह सौ रुपये का नोट दिया
- मनुवाँ तो दहूँ दिसि फिरै, यह तौ सुमिरन नाहिं' इस पंक्ति के माध्यम से कबीर ने कहना चाहा है कि हमारा मन भक्ति के समय यदि दसों दिशाओं की ओर घूमता रहता हैं, ईश्वर के स्मरण मैं एकाग्रचित्त नहीं होता तो ऐसी भक्ति व्यर्थ है।
- जब किसी एक वस्तु या सेवा के बदले दूसरी वस्तु या सेवा का लेन-देन होता है तो इसे वस्तु विनिमय (Bartering) कहते हैं। जैसे एक गाय लेकर १० बकरियाँ देना। इस पद्धति में विनिमय की सार्वजनिक (सर्वमान्य) इकाई अर्थात मुद्रा (रूपये-पैसे) का इस्तेमाल नहीं किया जाता है।
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