Hindi, asked by feriha9550, 20 days ago

1. काशी के सेठ गंगादास एक दिन गंगा में स्रान कर रहे थे कि तभी एक व्यक्ति नदी में कूदा और डुबकियाँ खाने लगा। सेठजी तेजी से तैरते हुए उसके पास पहुँचे और किसी तरह खींच कर उसे किनारे ले आए। वह उनका मुनीम नंदलाल था। उन्होंने पूछा, 'आप को किसने गंगा में फेंका?' नंदलाल बोला, 'किसी ने नहीं, मैं तो आत्महत्या करना चाहता था। सेठजी ने इसका कारण पूछा तो उसने कहा, 'मैंने आप के पाँच हजार रुपये चुरा कर सट्टे में लगाए और हार गया। मैंने सोचा कि आप मुझे जेल भिजवा देंगे इसलिए बदनामी के डर से मैंने मर जाना ही ठीक समझा।' कुछ देर तक सोचने के बाद सेठजी ने कहा, 'तुम्हारा अपराध माफ किया जा सकता है लेकिन एक शर्त है कि आज से कभी किसी प्रकार का सट्टा नहीं लगाओगे।' नंदलाल ने वचन दिया कि वह अब ऐसे काम नहीं करेगा। सेठ ने कहा, 'जाओ माफ किया। पाँच हजार रुपये मेरे नाम घरेलू खर्च में डाल देना। मुनीम भौंचक्का रह गया। सेठजी ने कहा, 'तुमने चोरी तो की है लेकिन स्वभाव से तुम चोर नहीं हो। तुमने एक भूल की है, चोरी नहीं। जो आदमी अपनी एक भूल के लिए मरने तक की बात सोच ले, वह कभी चोर हो नहीं सकता।​

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Answered by abingalex5
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I don't understand sorry

Answered by av77828
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Please write the questions as well.

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