1. क्या आशय है- आँसू से भाग्य पसीजा, हे मित्र, कहाँ इस जग में (क) रोने-धोने से कुछ नहीं होता (ख) रोने-धोने से भाग्य नहीं बनता है (ग) रोने-धोने से लोग पसीज जाते हैं। (घ) रोने-धोने से भाग्य भी रोता है।
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आँसु से भाग्य पसीजा,हे मित्र,कहाँ इस जग में | नित यहाँ शक्ति के आगे ,दीपक जलते मग मग में | कुछ तनिक ध्यान से सोचो , धरती किसकी हो पाई ? ... आँसू से भाग्य पसीजा,हे मित्र , कहाँ इस जग में इस का आशय है (1 Point) रोने-धोने से कुछ नहीं होतl
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