Hindi, asked by Anonymous, 1 month ago

1. कहि ‘रहीम’ संपति सगे, बनत बहुत बहु रीति।
बिपति-कसौटी जे कसे, सोई सांचे मीत॥
अर्थ लिखिए

Answers

Answered by Anonymous
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Answer:

1. कहि ‘रहीम’ संपति सगे, बनत बहुत बहु रीति।

बिपति-कसौटी जे कसे, सोई सांचे मीत॥

अर्थ : रहीम दास जी ने इस दोहे में सच्चे मित्र के विषय में बताया है। वो कहते हैं कि सगे-संबंधी रुपी संपत्ति कई प्रकार के रीति-रिवाजों से बनते हैं। पर जो व्यक्ति आपके मुश्किल के समय में आपकी मदद करता है या आपको मुसीबत से बचाता है वही आपका सच्चा मित्र होता है।

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Answered by Anonymous
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विपति कसौटी जे कसे तेई साँचे मीत।। इस दोहे में रहीम ने सच्चे मित्र की पहचान बताई है। इस दोहे में रहीम जी का कहना है कि जब मनुष्य के पास धन-संपत्ति होती है ता बहुत से लोग उसके मित्र बन जाते हैं, लेकिन जो मुश्किल समय में साथ देते हैं वही सच्चे मित्र कहलाते हैं।

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