1) कलाकार की व्यक्तिगत ईमानदारी - भाग १ में व्यक्त लेखक के विचारों को अपने शब्दों में
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कला के प्रति कलाकार की व्यक्तिगत ईमानदारी
इस सुवचन पर मेरे विचार इस प्रकार है, जो व्यक्ति अपनी कला के प्रति सच्ची ईमानदारी निभाता है और अपनी कला का हमेशा इज्ज़त करता है , वही एक सच्चे ईमानदार की पहचान होती है| सच्चा कलाकार अपनी कला से प्यार करता है ,अपनी कला को अपना मानना और उस के साथ ईमानदारी के साथ काम करना यही एक सच्चे ईमानदार की पहचान होती है|
एक सच्चा ईमानदार कलाकार वही होता है जो अपनी कला का ज्ञान सब को बाँटता है और उसके साथ कोई भी गलत काम नहीं करता है| अपनी कला का कभी मान नहीं करना चाहिए| मनुष्य की कला उसके जीवन का निर्वाह करती है और उसे उसके लक्ष्य तक पहुंचाती है | हमें अपनी कल से सच्चा प्रेम करना चाहिए ,किसी भी लालच के लिए हमें उसे बेचना नहीं चाहिए |
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