1. कलक्टर सिंह केसरी रचित 'उत्तर सीता चरित' के आलोक में सीता का चरित्र चित्रण करें.
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सीता जी पतिव्रता नारी का प्रतीक हैं। वो क्ष्री राम के इलावा किसी को सपने में भी नहीं देखना चाहती थीं। रावण के ज़बरदसती समीप आने पर तिनके की ओट का सहारा लेतीं हैं।
2 संस्कारी माता के रूप में लव-कुश को संस्कारी पुत्रों के रुप में संसार के सामने रखा। पिता क्ष्री राम जी के बारे में पता लग जाने पर उनहोंने माता द्वारा आदेश-भद हो कर पिता की हर आज्ञा का पालन किया।
3 त्याग की परिमुर्ति की आज्ञा मान कर अग्नि में प्रवेश किया और अपनी सुचिता का प्रमान दिया।
4 बनवास को बेजने वाली माता कैक्यी के प्रति भी किसी प्रकार का वैमन्सय न रख के आदर्शता का परिचय दिया है।
इसलिये जब कभी भारतीय नारी के आदर्श चरित्र की बात हुई है, तब सीता माता का नाम सर्वप्रथम लिया जाता है।
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