1. 'कर्म ही पूजा है' शीर्षक पर 100-180 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए-
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कर्म से मनुष्य धन, यश, वैभव आदि सभी पा सकता है | जो व्यक्ति अपने कर्म को पूजा समझते है वे विपरीत परिस्थितियों में भी निराश व हताश नहीं होते अपितु उठ खड़े होते है, कमर कस लेते है समस्त रुकावटों को दूर करने के लिए और उनका यही आत्मविश्वास उनको सफल बनाता है | गीता में भी कहा गया है कि ‘कर्मण्येवाधिकारस्ते, मा फलेषु कदाचन: |’
जिस प्रकार पूजा, अर्चना व ध्यान से ईश्वर को पाया जा सकता है उसी प्रकार कर्म की पूजा करके सफलता को पाया जा सकता है | सफलता किसे नहीं अच्छी लगती ? सफल होने की ख्वाहिश तो हम सभी रखते है और सफल होना कोई असंभव चीज भी नहीं है लेकिन जिस तरह जमीन पर खड़े होकर केवल पहाड़ देखते रहने से चढ़ाई नहीं हो सकती, उसी तरह बिना कर्म के सफलता नहीं मिल सकती |
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कर्म से मनुष्य धन, यश, वैभव आदि सभी पा सकता है | जो व्यक्ति अपने कर्म को पूजा समझते है वे विपरीत परिस्थितियों में भी निराश व हताश नहीं होते अपितु उठ खड़े होते है, कमर कस लेते है समस्त रुकावटों को दूर करने के लिए और उनका यही आत्मविश्वास उनको सफल बनाता है | गीता में भी कहा गया है कि ‘कर्मण्येवाधिकारस्ते, मा फलेषु कदाचन: |’
जिस प्रकार पूजा, अर्चना व ध्यान से ईश्वर को पाया जा सकता है उसी प्रकार कर्म की पूजा करके सफलता को पाया जा सकता है | सफलता किसे नहीं अच्छी लगती ? सफल होने की ख्वाहिश तो हम सभी रखते है और सफल होना कोई असंभव चीज भी नहीं है लेकिन जिस तरह जमीन पर खड़े होकर केवल पहाड़ देखते रहने से चढ़ाई नहीं हो सकती, उसी तरह बिना कर्म के सफलता नहीं मिल सकती |
Thanks!!!