1. 'कश्चित् 'इति पदस्य सन्धिविच्छेदं 1 point
किम्?
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क+चित्
कः+चित्
कश्+चित्
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- दो वर्णों के मेल से होने वाले विकार को संधि कहते हैं। इस मिलावट को समझकर वर्णों को अलग करते हुए पदों को अलग-अलग कर देना संधि-विच्छेद है। हिंदी भाषा में संधि द्वारा संयुक्त शब्द लिखने का सामान्य चलन नहीं है। पर संस्कृत में इसके बिना काम नहीं चलता है। संस्कृत के तत्सम शब्द ग्रहण कर लेने के कारण संस्कृत व्याकरण के संधि के नियमों को हिंदी व्याकरण में भी ग्रहण कर लिया गया है। शब्द रचना में संधियाँ उसी प्रकार सहायक है जैसे उपसर्ग, प्रत्यय, समास आदि।
- यहाँ वर्णक्रम से संधि तथा उसके विच्छेद संग्रहित किए गए हैं। साथ ही संधि का प्रकार भी निर्देशित है।
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कश्चित् = कः+चित्
Explanation:
- सम+ धि – दो ऐसे शब्द मिलकर बना हैं जो संधि बनाते हैं। जिसका अर्थ होता है 'मिलना'
- संस्कृत भाषा में संधि के बिना कोई काम भी नहीं होता है।
- इसका मुख्य कारण है कि संस्कृत व्याकरण की एक पुरानी परंपरा सुसंस्कृत, परिष्कृत या सुधारित तथा शास्त्रीय देवभाषा है। जिसके लिए व्याकरण को पढ़ना जरूरी है।
- शब्द रचना के समय संधियां काम आती है।
- जब दो शब्द मिलते हैं तो पहले शब्द की अंतिम ध्वनि और दूसरे शब्द की
- पहली ध्वनि आपस में मिलकर जो परिवर्तन लाती हैं (कोई तीसरा शब्द बनाते हैं)उसे संधि कहते हैं।
- दूसरे शब्दों में - "दो वर्णों के आपस में मिल जाने से जो विकार उत्पन्न होता है, उसे संधि कहते हैं".
- हिंदी भाषा में संधि के द्वारा शब्दों को लिखने की परम्परा नहीं है लेकिन संस्कृत भाषा में संधि के बिना कोई काम नहीं चल सकता. संस्कृत भाषा का व्याकरण बहुत पुराना है।
- संधि किये गये शब्दों को अलग-अलग करके पहले की तरह करना ही "संधि विच्छेद" कहलाता है।
विसर्ग संधि
- विसर्ग के साथ स्वर या व्यंजन के मिलने से जो विकार उत्पन्न होता है उसे विसर्ग संधि कहते हैं.
- विसर्ग संधि के कुछ नियम निम्नलिखित है:- यदि विसर्ग के बाद च, छ, या श हो तो विसर्ग का श हो जाता है
- कः +चित् = कश्चित्
- नि:+चल= निश्चल
- तो संधि किये गये शब्दों को अलग-अलग करना ही संधि विच्छेद कहलाता है।
अतः 'कश्चित्' इति शब्दस्य सन्धिविच्छेदं - कः+चित्।
#SPJ2
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