(1) कवि अंचलजी के अनुसार दुनिया की रीति क्या है?
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कवि अंचल के अनुसार दुनिया की रीति यह है कि यातना तो शरीर सहता है पर रोता मन है। उसी तरह इस संसार में करता कोई है और भोगता कोई है। ... इस पंक्ति में कवि यह कहना चाहता है कि मनुष्य में इतना आत्मबल नहीं है कि वह संकट में मुस्करा न सके तो उसे भय से कातर होकर रोना भी नहीं चाहिए।
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