1. कवि मातृभूमि के ऋण से किस प्रकार उऋण होने को उद्यत है?
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कविता में कवि ने मातृभूमि की धूल को भाल पर मलने की बात कही हैं। ... कवि स्वयं को भारत माता के ऋण से दबा हुआमानता है। वह गरीब होने से माँ का ऋण नहीं चुका सकता है। इसलिए वह अपना मस्तक थाल में सजाकर देना चाहता है, अर्थात् माँ के ऋण को अपना मस्तक समर्पित कर उतारना चाहता है, अपने जीवन को सहर्ष भेंट करना चाहता है।
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