1- कवि ने अपनी पीड़ा को कैसा बताया है?
क- पर्वत के समान
ग-दीवार के समान
ख-सागर के समान
घ- परदे के समान
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आज के मानव वर्ग की पीड़ा हिमालय पर्वत के समान बन गई है। वे आशा करते हैं कि इस पीड़ा रूपी पर्वत से गंगा निकलनी चाहिए। अर्थात् ये परिवर्तन की आग चाहें किसी के भी मन से उठे, उसे उठना चाहिए। इसके माध्यम से कवि देशवासियों को जागरण का संदेश देते हैं।
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