(1) कवि ने मृत्यु के प्रति निर्भय बने रहने के लिए क्यों कहा है ?
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(2) मृत्यु को विश्राम-स्थल क्यों कहा गया है ?
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(3) कवि ने मृत्यु की तुलना किससे और क्यों की है ?
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(4) मृत्यु रुपी सरिता में नहाकर जीव में क्या परिवर्तन आ
जाता है?
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1.मृत्यु के बाद मनुष्य फिर नया रूप लेकर कार्य करने लगता है, इसलिए कवि ने मृत्यु के प्रति निर्भय होने को कहा है।
2.कवि ने मृत्यु को विश्राम-स्थल की संज्ञा दी है।
3.कवि ने मृत्यु की तुलना सरिता से की है, क्योंकि जिस तरह थका व्यक्ति नदी में स्नान करके अपने गीले वस्त्र त्यागकर सूखे वस्त्र पहनता है, उसी तरह मृत्यु के बाद मानव नया शरीर रूपी वस्त्र धारण करता है।
4.मृत्यु रूपी सरिता में नहाकर जीव नया शरीर धारण करता है तथा पुराने शरीर को त्याग देता है।
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