1. कवियित्री किससे क्या खींच रही है?
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इस कविता में रोजमर्रा की साधारण चीजों को उपमा के तौर पर उपयोग करके गूढ़ भक्ति का वर्णन किया गया है। नाव का मतलब है जीवन की नैया। इस नाव को हम कच्चे धागे की रस्सी से खींच रहे होते है। ... लेकिन इसमें भक्ति भावना के कारण कवयित्री ने अपनी रस्सी को कच्चे धागे का बताया है।
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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पंथा विततो देवयानः।। येनाक्रमंतयषयो दृत्कामा यत्र सत्यस्य परमं निधानभ। अन्तः सत्य की ही जय होती है न की असत्य की यही वह मार्ग है जिससे होकर आप्तकाम (जिसकी कामनायें पूर्ण हो चुकी है )मानव जीवन के चरम लक्ष्य को प्राप्त करते है। इस मुण्डकोपनिषद से लिए गए श्लोक में जो सत्यमेव जयते आया है
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