1. कवयित्री को बार-बार किसकी याद आती है और क्यों?
2. बचपन का अतुलित आनंद क्या था?
3. बचपन में उसका रोना कैसा था और उसका माँ पर क्या प्रभाव पड़ता था?
4. बचपन बीतने और युवाकाल आने पर क्या-क्या परिवर्तन आते चले गए?
5. कवयित्री ऐसा क्यों कहती हैं-"आ जा बचपन ! एक बार फिर"?
6. जब कवयित्री अपने बचपन को बुला रही थी तभी क्या कुछ घटना घटी?
7. बालिका की दशा का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
8. कवयित्री ने किस प्रकार अपने बचपन को पुनः पा लिया?
Answers
Answer:
1) कवयित्री को अपने बचपन की बार-बार याद आती है। वह बिस्तार से बचपन के आनंदों का वर्णन करती है। कवयित्री का यह बचपन के प्रति आकर्षण दिखावटी नहीं है। वह चिंतारहित होकर खेलना-खाना, ऊँच-नीच, छुआ-छूत रहित मस्ती, रोना-मचलना और मनना बचपन की एक-एक घटना को कवयित्री ने बड़ी भावुकता से याद किया है।
2) बार-बार आती है मुझको मधुर याद बचपन तेरी।
गया ले गया तू जीवन की सबसे मस्त खुशी मेरी।।
चिंता-रहित खेलना-खाना वह फिरना निर्भय स्वच्छंद।
कैसे भूला जा सकता है बचपन का अतुलित आनंद?
ऊँच-नीच का ज्ञान नहीं था छुआछूत किसने जानी?
बनी हुई थी वहाँ झोंपड़ी और चीथड़ों में रानी।।
किए दूध के कुल्ले मैंने चूस अँगूठा सुधा पिया।
किलकारी किल्लोल मचाकर सूना घर आबाद किया।।
रोना और मचल जाना भी क्या आनंद दिखाते थे।
बड़े-बड़े मोती-से आँसू जयमाला पहनाते थे।।
मैं रोई, माँ काम छोड़कर आईं, मुझको उठा लिया।
झाड़-पोंछ कर चूम-चूम कर गीले गालों को सुखा दिया।।
दादा ने चंदा दिखलाया नेत्र नीर-युत दमक उठे।
धुली हुई मुस्कान देख कर सबके चेहरे चमक उठे।।
वह सुख का साम्राज्य छोड़कर मैं मतवाली बड़ी हुई।
लुटी हुई, कुछ ठगी हुई-सी दौड़ द्वार पर खड़ी हुई।।
लाजभरी आँखें थीं मेरी मन में उमंग रँगीली थी।
तान रसीली थी कानों में चंचल छैल छबीली थी।।
दिल में एक चुभन-सी थी यह दुनिया अलबेली थी।
मन में एक पहेली थी मैं सब के बीच अकेली थी।।
मिला, खोजती थी जिसको हे बचपन! ठगा दिया तूने।
अरे! जवानी के फंदे में मुझको फँसा दिया तूने।।
सब गलियाँ उसकी भी देखीं उसकी खुशियाँ न्यारी हैं।
प्यारी, प्रीतम की रँग-रलियों की स्मृतियाँ भी प्यारी हैं।।
माना मैंने युवा-काल का जीवन खूब निराला है।
आकांक्षा, पुरुषार्थ, ज्ञान का उदय मोहनेवाला है।।
किंतु यहाँ झंझट है भारी युद्ध-क्षेत्र संसार बना।
चिंता के चक्कर में पड़कर जीवन भी है भार बना।।
आ जा बचपन! एक बार फिर दे दे अपनी निर्मल शांति।
व्याकुल व्यथा मिटानेवाली वह अपनी प्राकृत विश्रांति।।
वह भोली-सी मधुर सरलता वह प्यारा जीवन निष्पाप।
क्या आकर फिर मिटा सकेगा तू मेरे मन का संताप?
मैं बचपन को बुला रही थी बोल उठी बिटिया मेरी।
नंदन वन-सी फूल उठी यह छोटी-सी कुटिया मेरी।।
'माँ ओ' कहकर बुला रही थी मिट्टी खाकर आई थी।
कुछ मुँह में कुछ लिए हाथ में मुझे खिलाने लाई थी।।
पुलक रहे थे अंग, दृगों में कौतुहल था छलक रहा।
मुँह पर थी आह्लाद-लालिमा विजय-गर्व था झलक रहा।।
मैंने पूछा 'यह क्या लाई?' बोल उठी वह 'माँ, काओ'।
हुआ प्रफुल्लित हृदय खुशी से मैंने कहा - 'तुम्हीं खाओ'।।
पाया मैंने बचपन फिर से बचपन बेटी बन आया।
उसकी मंजुल मूर्ति देखकर मुझ में नवजीवन आया।।
मैं भी उसके साथ खेलती खाती हूँ, तुतलाती हूँ।
मिलकर उसके साथ स्वयं मैं भी बच्ची बन जाती हूँ।।
जिसे खोजती थी बरसों से अब जाकर उसको पाया।
भाग गया था मुझे छोड़कर वह बचपन फिर से आया।।
3) सुभद्रा जी बचपन में सारे घर की प्यारी बिटिया थी। यदि वह कभी रोने लगती थी तो उनकी माँ घर के सारे काम-काजछोड़ कर आ जाती और उन्हें तुरन्त गोद में उठा लिया करती थी। उनका शरीर झाड़-पौछ कर उनके आँसुओं से गीले गालों को चूमने लगती थी।
4) युवावस्था में नयी-नयी इच्छाएँ, पुरुषार्थ और ज्ञान का उदय हुआ करता है।
5) क्योंकि उसका बचपन का दिन बहुत यादगार होगा
Explanation:
बचपन बचपन के दिन बहुत याद आए मीठे और बहुत अच्छे होते हैं बचपन कोई खेल की दुनिया से कम नहीं बचपन का दिन बहुत नसीबका होता है बचपन एक बार बीत गया तो वापस नहीं आता बचपन बहुत ही है बचपना है बचपन में बचपना हर कोई करता है
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1. कवयित्री को बार-बार किसकी याद आती है और क्यों ?
उत्तर : कवियत्री को बार-बार अपने बचपन की याद आती है, क्योंकि कवयित्री के बचपन का आनंद जी अतुलनीय था।
2. बचपन का अतुलित आनंद क्या था ?
उत्तर : बचपन का अतुल आनंद में कवित्री निर्मल निसंकोच होकर खेलती कूदती थी। उसके बचपन का वातावरण निर्भय और स्वच्छंद था। बचपन की बाल सुलभ हरकतें, रोना, जिद करना आदि उसे बचपन की अतुलित आनंद की याद दिलाती है।
3. बचपन में उसका रोना कैसा था और उसका माँ पर क्या प्रभाव पड़ता था ?
उत्तर : बचपन का रोना जिद करने जैसा था। इसका अलग प्रभाव पड़ता और वह कवयित्री को गोद में लेकर प्यार करती।
4. बचपन बीतने और युवाकाल आने पर क्या-क्या परिवर्तन आते चले गए ?
उत्तर : बचपन बीतने पर युवाकाल आते-आते कवयित्री के बचपन की कोमलता कम होती गई और जीवन के संघर्षों से सामना कर मन कठोर होता गया।
5. कवयित्री ऐसा क्यों कहती हैं-"आ जा बचपन ! एक बार फिर"?
उत्तर : कवित्री बचपन को इसलिए बुलाना चाहती है क्योंकि बचपन निष्पाप और निष्कलंक था। वो निर्मल था, स्वच्छंद था, मस्त और खुशीभरा था।
6. जब कवयित्री अपने बचपन को बुला रही थी तभी क्या कुछ घटना घटी ?
उत्तर : कवयित्री जब अपने बचपन को बुला रही थी, तभी उसकी बेटी का जन्म हुआ और उसे अपने बचपन कवित्री को लगा कि उसका बचपन दोबारा से मिल गया ।
7. बालिका की दशा का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर : बालिका बेहद निर्मल कोमल थी। कवयित्री बालिका को अपनी गोदी में खिलाकर अपने बचपन में लौट जाना चाहती थी।
8. कवयित्री ने किस प्रकार अपने बचपन को पुनः पा लिया ?
उत्तर : कवयित्री ने अपनी बेटी के जन्म के बाद अपने बचपन को पुनः पा लिया।