1. लॉकडाउन में देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी को निभाते हुए उस परसुन्दर चित्र बनाकर आठ-दस पंक्तियाँ भी लिखें।
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Explanation:
धन्यवाद है उनको
जिसने जीवन आसान किया है
हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई
सबको मान दिया है।
डाक्टर, नर्स, सफाईकर्मी
या हो सैनिक वर्दीवाला
दूध, सब्जी, बिजली, पानी
या हो टीवी, रेडियो, पेपरवाला
डाल के खुद को खतरे में
जग का सम्मान किया है
धन्यवाद है उनको
जिसने जीवन आसान किया है।
लेकिन कुछ ऐसे भी हैं
जो रजनीति करते हैं
अपनी जिद के आगे
परेशान सभी को करते हैं
थू-थू ऐसे लोगों का
जिसने अपमान किया है
धन्यवाद है उनको
जिसने जीवन आसान किया है।
मिलकर तोड़ें चेन
कोरोना वायरस दूर भगाएं
रहें घरों में अपने हम
सबको स्वस्थ बनाएं
पीएम ने भी हम सब की खातिर
यह संकल्प दिया है
धन्यवाद है उनका
जिसने जीवन आसान किया है।
- अजय कुमार मिश्र (अजयश्री), इंदिरानगर
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-------- ऐ कोविड-19 -------
ऐ कोविड
शहर-शहर, देश-देश
तुम घूम रहे हो
ये आंखें पथरा गई हैं
नजर तो आओ
कहां हो तुम
जिस शहर से गुजरे हो तुम
वह बयार यहां भी आयी है
खौफज़दा चेहरे बता रहे हैं
वह तुमसे मिल कर आयी है
बगिया भी बदरंग हो गई
दौर-ए-पतझड़ क्यों लाये
मौन हो गई वाणी सबकी
ऐसा क्या तुम कह आये
जीवन की कलकल नदिया में
जलकुंभी बनकर क्यों ठहरे
रिश्तों के नाजुक बंधन पर
सांसों पे लगा के तुम पहरे
आधे जीवित आधे मृत हो
परछाईं बन छल करते हो
हम सबकी सहनशक्तियों की
क्यों कठिन परीक्षा करते हो
हम राम-कृष्ण के वंशज हैं
मर्यादा को भी निभायेंगे
अनुशासन के इन अस्त्रों से
तेरा अस्तित्व मिटायेंगे
- दीपक मेहरोत्रा, कुर्सी रोड
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--------आफत-------
आफत सभी की जान पर है,
जीवन की नदी उफान पर है
हार चुके हिम्मत और हौसले,
सबकी निगाहें आसमान पर है
मंदिर-मस्जिद से टूट चुकी है,
अब टिकी उम्मीदें इंसान पर हैं
पता नहीं कहां जा के रुकेगी,
अब ये जिंदगी ढलान पर है
मरके भी न मिटने दूंगा आबरू,
जबकि आंच मेरे ईमान पर है
ये नींव तो किसी ने नहीं देखी,
और सारा दोष मकान पर है
आओ हम एक हो जाएं 'प्रेमी'
एक बड़ा खतरा हिंदुस्तान पर है
-अनुराग प्रेमी, दौसा (राजस्थान)
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-------गर इस कायनात को--------
इतना डरे हुए हैं कोरोना के डर से सब
लगने लगे हैं किसी उजड़े शहर से सब
थोड़ी-सी अपनी तबीयत नासाज़ क्या हुई
मुझे देखने लगे हैं शक की नज़र से सब
कल तक थे आसमान पे उड़ते रहने के आदी
पर आज बंधे पड़े हैं किसी बूढ़े शजर से सब
खुद को सबसे बेहतर समझने का ये गुरूर
एक दिन मारे जाएंगे इस ही जहर से सब
कल तक तो कर रहे थे बरसों के वायदे
मगर आज लग रहे हैं बड़े मुख्तसर से सब
'दीपक' गर इस कायनात को अपना समझते
होते नहीं फिर इस तरह दर-ब-दर से सब
- दीपेंद्र 'दीपक', मेरठ
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-------याद करेगा हिंदुस्तान---------------
याद करेगा हिंदुस्तान
कोरोना का ये अभिमान
रखना है देश का ध्यान
याद करेगा हिंदुस्तान
घर में रहना हमारी शान
यही हमारा है बलिदान
याद करेगा हिंदुस्तान
बच्चों बुजुर्गों का रखना मान
पूरा रखना हमें इनका ध्यान
याद करेगा हिंदुस्तान
कितनों ने झोंकी जान
करना हमें उनका सम्मान
याद करेगा हिंदुस्तान
घर में रखो पूरा सामान
लक्ष्मण रेखा का रखो भान
याद करेगा हिंदुस्तान
बचानी है सबकी जान
कोरोना का तोड़ो अभिमान
याद करेगा हिंदुस्तान