Hindi, asked by divishaarora2007, 7 months ago

1-लाख का प्रयोग कब और कहाों से शुरू हुआ तथा भारत के दकन दकन प्रदेशोों/ शहरोों में इसका प्रयोग होता है, बताइए।

Answers

Answered by 2016341divisha
4

Answer:

प्रागैतिहासिक समय से ही भारत के लोगों को लाख का ज्ञान है। अथर्ववेद में भी लाख की चर्चा है। महाभारत में लाक्षागृह का उल्लेख है, जिसको कौरवों ने पांडवों के आवास के लिए बनवाया था। कौरवें का इरादा लाक्षागृह में आग लगाकर पांडवों को जलाकर मार डालने का था। ग्रास्या द आर्टा (Gracia de Orta, 1563 ई) में भारत में लाख रंजक और लाख रेज़िन के उपयोग का उल्लेख किया है। आइन-ए-अकबरी (1590 ई.) में भी लाख की बनी वार्निश का वर्णन है, जो उस समय चीजों को रँगने में प्रयुक्त होती थी। टावन्र्यें (Tavernier) ने अपने यात्रावृतांत (1676 ई.) में लाख रंजक का, जो छींट की छपाई में और लाख रेज़िन का, जो ठप्पा देने की लाख में और पालिश निर्माण में प्रयुक्त होता था, उल्लेख किया है।

लाख के वे ही उपयोग हैं जो चपड़े के हैं। लाख के शोधन से और एक विशेष रीति से चपड़ा तैयार होता है। चपड़ा बनाने से पहले लाख से लाख रंजक निकाल लिए जाते हैं। लाख ग्रामोफोन रेकार्ड बनाने में, विद्युत् यंत्रों में, पृथक्कारी के रूप में, वार्निश और पॉलिश बनाने में, विशेष प्रकार की सीमेंट और स्याही के बनाने में, शानचक्रों में चूर्ण के बाँधने के काम में, ठप्पा देने की लाख बनाने इत्यादि, अनेक कामों में प्रयुक्त होता है। भारत सरकार ने राँची के निकट नामकुम में लैक रिसर्च इंस्टिट्यूट की स्थापना की है, जिसमें लाख से संबंधित अनेक विषयों पर अनुसंधान कार्य हो रहे हैं। इस संस्था का उद्देश्य है उन्नत लाख उत्पन्न करना, लाख की पैदावर को बढ़ाना और लाख की खपत अधिक हो और निर्यात के लिए विदेशों की माँग पर निर्भर रहना न पड़े।

आज की लाख का उपयोग ठप्पा देने का चपड़ा बनाने, चूड़ियों और पालिशों के निर्माण, काठ के खिलौनों के रँगने और सोने चाँदी के आभूषणों में रिक्त स्थानों को भरने में होता है। लाख की उपयोगिता का कारण उसका ऐल्कोहॉल में घुलना, गरम करने पर सरलता से पिघलना, सतहों पर दृढ़ता से चिपकना, ठंडा होने पर कड़ा हो जाना और विद्युत् की अचालकता है। अधिकांश कार्बनिक विलयकों का यह प्रतिरोधक होता है और अमोनिया तथा सुहागा सदृश दुर्बल क्षारों के विलयन में इसमें बंधन गुण आ जाता है।

19वीं शताब्दी तक लाख का महत्व लाख रंजकों के कारण था, पर सस्ते संश्लिष्ट रंजकों के निर्माण से लाख रंजक का महत्व कम हो गया। मनोरम आभा, विशेषकर रेशम के वस्त्रों में, उत्पन्न करने की दृष्टि से लाख रंजक आज भी सर्वोत्कृष्ट समझा जाता है, पर महँगा होने के कारण न अब बनता है और न बिकता है। आज लाख का महत्व उसमें उपस्थित रेज़िन के कारण है, किंतु अब सैकड़ों सस्ते रेज़िनों का संश्लेषण हो गया है और ये बड़े पैमाने पर बिकते हैं। किसी एक संश्लिष्ट रेज़िन में वे सब गुण नहीं हैं जो लाख रेज़िन में हैं। इससे लाख रेज़िन की अब भी माँग है, पर कब तक यह माँग बनी रहेगी, यह कहना कठिन है। कुछ लोगों का विचार है कि इसका भविष्य तब तक उज्वल नहीं है जब तक इसका उत्पादनखर्च पर्याप्त कम न हो जाए। लाख में एक प्रकार का मोम भी रहता है, जिसे लाख मोम कहते हैं।

Explanation:

Plz mark my answer as BRAINLIEST

Similar questions