1) लेखक ऐसा क्यों कहता है कि गुलमर्ग को कभी पूरा देखा नहीं जा सकता?
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गुलमर्ग में रहकर वहा के साथ व्यक्ति की आत्मीयता बहुत गहरी हो जाती है | यहा तक की व्यक्ति अपने आपको वहा के सपाट मैदान का एक हिसा समझने लगता है | वहा के जिस परिसर में व्यक्ति रहता है, वह उसके भीतर समा जाता है | आत्मीयता का कोई ओर-छोर नही होता | इसलिए लेखक को लगता है की गुलमर्ग को कभी पूरा देखा नही जा सकता |
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