1) लेखक बालकृष्ण के मुँह पर छाई गोधूलि को श्रेष्ठ क्यों मानता है।
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उत्तर : लेखक बालकृष्ण के मुंह पर छाई गोधूलि को श्रेष्ठ इसलिए मानता है कि जिस प्रकार फूल के ऊपर धूल के महीन कण शोभा पाते हैं, उसी प्रकार से बालकृष्ण के मुंह पर छाई हुई गोधूलि उनके मुख की शोभा को और अधिक खूबसूरत बना देती है। उनके मुख की ऐसी कांति आज के युग में प्रचलित प्रसाधन सामग्री के उपयोग से नहीं आ सकती।
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लेखक बालकृष्ण के मुँह पर छाई गोधूलि को श्रेष्ठ मानता है। उसके अनुसार, इसके कारण उसकी आंतरिक आभा और भी खिल उठती है। बालक का धूल-धूसरित मुख बनावटी श्रृंगार प्रसाधनों से कहीं अधिक मनमोहक होता है। यह वास्तविक होने के कारण कृत्रिम सौंदर्य सामग्री से अधिक श्रेष्ठ होता है। इसमें बालक की सहज पार्थिवता, अर्थात् शारीरिक कांति जगमगा उठती है। इसकी तुलना में बनावटी सजाव-श्रृंगार कहीं नहीं टिकता।
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