(1) लेखक ने नवाब साहब के खीरे खरीदने के विषय में क्या अनुमान लगाया?
(2) लेखक ने नवाब साहब द्वारा खीरा शौक फरमाने के लिए कहने पर क्या उत्तर दिया?
(3) नवाब साहब ने डकार लेकर लेखक के सामने क्या व्यक्त करना चाहा?
(4) नवाब साहब के खीरा खाने के तरीके को लेखक ने किस रूप में लिया?
Answers
नवाब साहब ने लेखक को आदाब-अर्ज़ कर खीरा खाने के लिये कहा। ... लेखक एक कल्पनाशील व विचारवान व्यक्ति है। वे बिना विचार के कहानी लिखने में माहिर हैं। वह अनुमान लगाता है कि नवाब साहब खीरे खाने का शौक रखते हैं और अकेले सफर का वक्त काटने के लिये ही खीरे खरीदे होंगे।10-Sep-2019
Answer:
1)नवाब साहब ने लेखक को आदाब-अर्ज़ कर खीरा खाने के लिये कहा। ... लेखक एक कल्पनाशील व विचारवान व्यक्ति है। वे बिना विचार के कहानी लिखने में माहिर हैं। वह अनुमान लगाता है कि नवाब साहब खीरे खाने का शौक रखते हैं और अकेले सफर का वक्त काटने के लिये ही खीरे खरीदे होंगे।
2)उत्तर: नवाब साहब द्वारा दिए गए खीरा खाने के प्रस्ताव को लेखक ने अस्वीकृत कर दिया। खीरे को खाने की इच्छा तथा सामने वाले यात्री के सामने अपनी झूठी साख बनाए रखने के कश्मकश में नवाब ने खीरे को काटकर खाने की सोची तथा फिर अन्तत: जीत नवाब के दिखावे की हुई। ... नवाब के इस स्वभाव से ऐसा लगता है कि वो दिखावे की जिंदगी जीते हैं।
3)लेखक ने देखा कि नवाब साहब खीरे की नमक-मिर्च लगी फाँकों को खाने के स्थान पर सँघकर खिड़की के बाहर फेंकते गए। बाद में उन्होंने डकार लेकर अपनी तृप्ति और संतुष्टि दर्शाने का प्रयास किया। यही देखकर लेखक के ज्ञान-चक्षु खुल गए कि इसी तरह बिना घटनाक्रम, पात्र और विचारों के कहानी भी लिखी जा सकती है।
4)उत्तर: नवाब साहब द्वारा दिए गए खीरा खाने के प्रस्ताव को लेखक ने अस्वीकृत कर दिया। खीरे को खाने की इच्छा तथा सामने वाले यात्री के सामने अपनी झूठी साख बनाए रखने के कश्मकश में नवाब ने खीरे को काटकर खाने की सोची तथा फिर अन्तत: जीत नवाब के दिखावे की हुई।