India Languages, asked by submitkeshri, 4 months ago

1) लताना नितान्तं सुमं शान्तिशीलम्
चलेदुच्छलेत्कान्त सलिलं सलीलम
तवाकर्ण्य वीणामदीनां नदीनाम्
2) ललित पल्लवे पादपे पुष्णपुञ्जे
मलयमारुतोच्चुम्बिते मम्जुकुमजे
स्वनन्तीन्ततिम्प्रेक्ष्य मलिनामलीनाम।।​

Answers

Answered by nehajha1118g
9

Explanation:

प्रस्तुत गीत आधुनिक संस्कृत—साहित्य के प्रख्यात कवि पं. जानकी वल्लभ शास्त्री की रचना ‘काकली’ नामक गीतसंग्रह से संकलित है। इसमें सरस्वती की वन्दना करते हुए कामना की गई है कि हे सरस्वती! ऐसी वीणा बजाओ, जिससे मधुर मञ्जरियों से पीत पंक्तिवाले आम के वृक्ष, कोयल का कूजन, वायु का धीरे—धीरे बहना, अमराइयों में काले भ्रमरों का गुञ्जार और नदियों का (लीला के साथ बहता हुआ) जल, वसन्त ऋतु में मोहक हो उठे। स्वाधीनता संग्राम की पृष्ठभूमि में लिखी गयी यह गीतिका एक नवीन चेतना का आवाहन करती है तथा ऐसे वीणास्वर की परिकल्पना करती है जो स्वाधीनता प्राप्ति के लिए जनसमुदाय को प्रेरित करे।

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