1. मुग़ल भारत के संदर्भ में, जागीरदार और जमींदार के बीच
क्या अंतर है/हैं?
Answers
मुगलकाल के भारत के संदर्भ में जागीरदार और जमींदार के बीच अंतर
जागीरदार = जागीर + दार
जागीर अर्थात एक क्षेत्रविशेष और दार का अर्थ है अधिकारी — क्षेत्र का अधिकारी>
जमींदार = जमीन + दार
जमीन अर्थात भूमि और दार काअर्थ है अधिकारी — भूमि का अधिकारी।
जागीरदार एक पूरे क्षेत्र का अधिकारी होता था वो पूरा क्षेत्र एक गांव या नगर या कस्बा या कई छोटे-छोटे गांव हो सकते थे। जागीरदार को वो क्षेत्र बादशाह की तरफ से जीवनभर के लिये दिया जाता था। जागीरदार को बादशाह अर्थात शासन के हित में कई कार्य करने होते थे जिसमें न्यायिक व्यवस्था, शासन प्रबन्ध, सेना को संगठित करना, जनता से कर वसूलना आदि था।
जमींदार किसी भूमि के बड़े या छोटे भाग का स्वामी होता था उसका कार्य भूमि अर्थात कृषि व्यवस्था को नियंत्रित करना और किसानों से राजस्व वसूलना था। अन्य कोई दायित्व उसके लिये आवश्यक नही था।
Answer:
मुग़ल भारत के संदर्भ में, जागीरदार और जमींदार के बीच का अंतर इस प्रकार है
Explanation:
मुग़ल भारत के समय राजाओं के द्वारा उनके राज के किसी विशिष्ट व्यक्ति के उत्कृष्ट कार्य करने के फलस्वरूप पुरस्कार के रूप में जो जमीन दी जाती थी, उसे जागीर कहते थे और जिस व्यक्ति को जमीन दी जाती थी उसे जागीरदार कहते थे।
जमीदारी प्रथा हमारे देश मे आजादी के पूर्व प्रचलित थी। जिसमे गांव की भूमि का स्वामित्व उस पर काम करने वाले किसानों का न होकर जमीदार का होता था। जमीन का उपयोग करने के बदले में ये जमीदार किसानों का भरपूर शोषण करते थे। आजादी के बाद देश से जमीदारी प्रथा समाप्त कर दी गई।
जागीरदारों के पास न्यायिक और पुलिस दायित्वों के एवज़ में भूमि आवंटनों का अधिकार होता था, जबकि ज़मींदारों के पास राजस्व अधिकार होते थे तथा उन पर राजस्व उगाही को छोड़कर अन्य कोई दायित्व पूरा करने की बाध्यता नहीं होती थी। जागीरदारों को किये गए भूमि आवंटन वंशानुगत होते थे और ज़मींदारों के राजस्व अधिकार वंशानुगत नहीं होते थे।