1. मेजर ने किस प्रकार दुश्मनों का सामना किया ?
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बहादुरी से किया दुश्मन का सामना
बहादुरी से किया दुश्मन का सामनातभी अचानक एक उग्रवादी की राइफल से छूट कर एक गोली सीधे मेजर रामास्वामी परमेस्वरन की छाती पर जा लगी। यह एक प्राणघाती हमला था, लेकिन रामास्वामी ने इसकी परवाह किए बगैर उस उग्रवादी से झपटकर उसकी राइफल छीनी और उस दुश्मन का काम तमाम कर दिया।
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In hindi
नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। भारत की धरती पर एक से बढ़कर एक वीर पैदा हुए हैं, जिन्होंने अपने जज्बे और साहस से देश का मान बढ़ाया है। ऐसे ही एक वीर थे मेजर रामास्वामी परमेस्वरन। ये वो योद्धा थे जिन्होंने श्रीलंका में विजय पताका फहराई और वीरगति को प्राप्त हुए। मेजर रामास्वामी परमेस्वरन श्रीलंका के 'ऑपरेशन पवन' में शहीद हो गए और उन्होंने भारत सरकार का युद्ध काल में दिया जाने वाला सर्वश्रेष्ठ सम्मान परमवीर चक्र प्राप्त किया। तो आइए जानते हैं उनकी कहानी..
मेजर रामास्वामी परमेस्वरन के बारे में जानने से पहले ये जान लेते हैं कि परमवीर चक्र होता क्या है और ये क्यों दिया जाता है।
परमवीर चक्र भारत का सर्वोच्च सैन्य अलंकरण है जो दुश्मनों की उपस्थिति में उच्च कोटि की शूरवीरता एवं त्याग के लिए प्रदान किया जाता है। ज्यादातर स्थितियों में यह सम्मान मरणोपरांत ही दिया गया है। इस पुरस्कार की स्थापना 26 जनवरी 1950 को की गई थी जब भारत [गणराज्य] घोषित हुआ था। भारतीय सेना के किसी भी अंग के अधिकारी या कर्मचारी इस पुरस्कार के पात्र होते हैं एवं इसे देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न के बाद सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार समझा जाता है। इससे पहले जब भारतीय सेना ब्रिटिश सेना के तहत कार्य करती थी तो सेना का सर्वोच्च सम्मान विक्टोरिया क्रॉस हुआ करता था।
In telugu
ఈ అవార్డును అందుకున్నప్పుడు (లేదా వారిపై ఆధారపడినవారికి) లెఫ్టినెంట్ లేదా అంతకంటే తక్కువ ర్యాంక్ ఉన్న సైనిక సిబ్బందికి నగదు (లేదా పెన్షన్) ఇవ్వడానికి కూడా ఒక నిబంధన ఉంది. అయితే మిలటరీ వితంతువులు వివాహం చేసుకోవటానికి లేదా చనిపోయే ముందు వారికి ఇచ్చే కనీస పెన్షన్ ఇప్పటివరకు వివాదాస్పదమైంది. మార్చి 1999 లో, ఈ మొత్తాన్ని నెలకు 1500 రూపాయలకు పెంచారు. అనేక ప్రాంతీయ ప్రభుత్వాలు పరమవీర్ చక్ర అవార్డు పొందిన సైనిక అధికారులపై ఆధారపడినవారికి చాలా ఎక్కువ మొత్తంలో పెన్షన్ ఇస్తాయి.