1. ‘मुझको न नमिा रे कभी प्यार’ कनवता का प्रनतपाद्य निनखए।
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‘मुझको न मिला प्यार कभी’ कविता का प्रतिपाद्य लिखिये।
►‘मुझको ना मिला प्यार कभी’ कविता का प्रतिपाद्य.....
‘मुझको ना मिला प्यार कभी’ कवि जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित कविता है, जिसमें एक प्रेमी हृदय अपने मन की व्यथा को व्यक्त करते हुए कह रहा है कि वह अपने पूरे जीवन में सच्चे प्यार को पाने के लिए भटकता रहा। लेकिन उसको प्यार कभी नहीं मिला उसको हर जगह तिरस्कार का सामना ही करना पड़ा। हर जगह उसने पुकार लगाई लेकिन किसी ने उसकी नहीं सुनी। वह समाज में सबसे एक दृष्टि प्रेम पाने की लिए तरसता रहा लेकिन उसे प्यार कभी नहीं मिला। अंत में उसकी समझ आता है, कि इस जग में प्यार देने वाले कम ही होते है, जबकि मन को दुखाने वाले कदम-कदम पर मिल जायेंगे।
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