1. मीरा का अपने पति राणा के साथ दाम्पत्य जीवन सुखमय बीता था।
2. नमक विभाग के दारोगा पद के लिए वकीलों का जी ललचता था।
3. मियाँ बरकत अली को नानबाईयों का मसीहा कहा गया था।
4. प. आलोपीदीन का लक्ष्मी पर अखण्ड़ विश्वास था।
5. चुन्नीबाला देवी की शूटिंग के दौरान मृत्यु हो गई थी।
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‘मीरा’ नाम सुनते ही हमारे दिमाग में एक ही तरह की तस्वीरें आने लगती हैं. ढेर सारे चित्रों में उन्हें एक जवान, सफ़ेद कपड़े पहनी हुई महिला दिखाया गया है. जिनके कंधे पर एक तानपुरा टिका होता है. और वो गाना गाने के पोज़ में होती हैं. अपने हाथों से तानपुरा बजाती हुई मीरा भक्ति में तल्लीन दिखती हैं. इन तस्वीरों के बैकग्राउंड में उनके प्यारे कृष्ण की मूर्ति ज़रूर दिखती है. इन सारी तस्वीरों के अलावा हमारे पास कुछ फ़िल्मी मीरा भी हैं.
मीरा के शुरुआती चित्रण में बहुत ही जवान एम. एस. सुब्बुलक्ष्मी याद आती हैं. जो ऐसे अलौकिक अंदाज़ में गाती हैं कि ब्लैक एंड वाइट प्रिंट और खराब साउंड क्वालिटी भी उनके आकर्षण को कम नहीं कर पाते. इसके कुछ समय बाद का एक फ़िल्मी वर्ज़न भी है, जिसमें हेमा मालिनी केसरिया रंगों में दिखती हैं, जो सब बाद में सफ़ेद हो जाते हैं. तमाम कोशिशों के बावजूद हेमा मालिनी उस कैरेक्टर में जान न फूंक सकीं.
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1. no
2.yes
3.yes
4.yes
5.चुन्नीबाला देवी अस्सी वर्ष की थी। उसने फिल्म में इंदिरा ठाकरुन की भूमिका निभाई। लेखक के लिए यह सौभाग्य था कि ढाई साल तक फिल्म का काम चला और चुन्नीबाला देवी की मृत्यु नहीं हुई।