Hindi, asked by ItzJanviHere, 5 hours ago

1 मोर-मोरनी के नाम किस आधार पर रखे गए?
2 जाली के बड़े घर में पहुँचने पर मोर के बच्चों का किस प्रकार स्वागत हुआ?
3 लेखिका को नीलकंठ की कौन-कौन सी चेष्टाएँ बहुत भाती थी।
4. 'इस आनदोत्सव की रागिनी में बेमेल स्वर कैसे बज उठा'-वाक्य किस घटना की ओर संकेत कर रहा है?
5 वसत भातु में नीलकंठ के लिए जालीघर में बंद रहना असहनीय क्यों हो जाता था?
6. जालोघर में रहनेवाले सभी जीव एक-दूसरे के मित्र बन गए थे, पर कुब्जा के साथ ऐसा संभव क्यों नहीं हो पाया?
7. in given photo

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Answers

Answered by parthkumawat724
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Answer:

प्रश्न 15-1. मोर-मोरनी के नाम किस आधार पर रखे गए?

उत्तर : नीली गर्दन होने के कारण मोर का नाम नीलकंठ रखा गया और मोरनी सदा मोर की छाया के समान उसके साथ रहती इसलिए उसका नाम राधा रखा गया।

प्रश्न 15-2. जाली के बड़े घर में पहुँचने पर मोर के बच्चों का किस प्रकार स्वागत हुआ?

उत्तर : जाली के बड़े घर में पहुँचने पर मोर के बच्चों का उसी तरह स्वागत हुआ जैसा नववधू के आगमन पर परिवार में होता है। लक्का कबूतर नाचना छोड़ उनके चारों ओर घूम-घूम कर गुटरगूं-गुटरगूं की रागिनी अलापने लगे, बड़े खरगोश सभ्य सभासदों के समान क्रम से बैठकर उनका निरीक्षण करने लगे, छोटे खरगोश उनके चारों ओर उछलकूद मचाने लगे और तोते एक आँख बंद करके उनका परीक्षण करने लगे।

प्रश्न 15-3. लेखिका को नीलकंठ की कौन-कौन सी चेष्टाएँ बहुत भाती थीं?

उत्तर : नीलकंठ देखने में बहुत सुंदर था और लेखिका को उसकी हर चेष्टाएँ आकर्षक लगती थीं परन्तु कुछ चेष्टाएँ उन्हें बहुत भाती थीं जैसे -

• मेघों की गर्जन ताल पर उसका इंद्रधनुष के गुच्छे जैसे पंखों को मंडलाकार बनाकर तन्मय नृत्य करना।

• लेखिका के हाथों से हौले-हौले चने उठाकर खाते समय उसकी चेष्टाएँ हँसी और विस्मय उत्पन्न करती थी।

• नीलकंठ का दयालु स्वभाव और सबकी रक्षा करने की चेष्टा करना।प्रश्न 15-4. 'इस आनंदोंत्सव की रागिनी में बेमेल स्वर कैसे बज उठा' - वाक्य किस घटना की ओर संकेत कर रहा है?

उत्तर : यह वाक्य लेखिका द्वारा कुब्जा मोरनी को लाने की ओर संकेत कर रहा है। कुब्जा मोरनी के आने से पहले नीलकंठ, राधा और अन्य पशु-पक्षी बाड़े में आराम से रह रहे थे जिसे लेखिका ने आनंदोंत्सव की रागिनी कहा है। परन्तु कुब्जा मोरनी के आ जाने से वहाँ अशांति फ़ैल गयी। वह स्वभाव से मेल-मिलाप वाली न थी। ईर्ष्यालु प्रकृति की होने के कारण वह नीलकंठ और राधा को साथ न देख पाती थी। उसने राधा के अंडे भी तोड़ डाले थे। नीलकंठ अप्रसन्न रहने लगा था और अंत में यह उसकी मृत्यु का कारण बना।

प्रश्न 15-5. वसंत ऋतु में नीलकंठ के लिए जालीघर में बंद रहना असहनीय क्यों हो जाता था?

उत्तर : वसंत में आम के वृक्ष मंजरियों से लदे जाते और अशोक लाल पत्तों से ढक जाता जिसे देखकर नीलकंठ के लिए जालीघर में रहना असहनीय हो जाता। उसे फलों के वृक्षों से भी अधिक सुगन्धित व खिले पत्तों वाले वृक्ष अच्छे लगते थे।

प्रश्न 15-6. जालीघर में रहनेवाले सभी जीव एक-दूसरे के मित्र बन गए थे, पर कुब्जा के साथ ऐसा संभव क्यों नहीं हो पाया?

उत्तर : कुब्जा का स्वभाव मेल-मिलाप वाला न था। ईर्ष्यालु होने के कारण वह सबसे झगड़ा करती रहती थी और अपनी चोंच से नीलकंठ के पास जाने वाले हर-एक पक्षी को नोंच डालती थी। वह किसी को भी नीलकंठ के पास आने नहीं देती थी यहाँ तक की उसने इसी ईर्ष्यावश राधा के अंडें भी तोड़ दिए थे। इसी कारण वह किसी की मित्र न बन सकी।

प्रश्न 15-7. नीलकंठ ने खरगोश के बच्चे को साँप से किस तरह बचाया? इस घटना के आधार पर नीलकंठ के स्वभाव की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।

उत्तर : एक बार एक साँप पशुओं के जाली के भीतर पहुँच गया। सब जीव-जंतु इधर-उधर भागकर छिप गए, केवल एक शिशु खरगोश साँप की पकड़ में आ गया। निगलने के प्रयास में साँप ने उसका आधा पिछला शरीर मुँह में दबा लिया। नन्हा खरगोश धीरे-धीरे चीं-चीं कर रहा था परन्तु आवाज़ इतना तीव्र नही था की किसी को स्पष्ट सुनाई दे। सोये हुए नीलकंठ ने जब यह मंद स्वर सुना तो वह झट से अपने पंखों को समेटता हुआ झूले से नीचे आ गया। उसने सावधानी से साँप के फन के पास पंजों से दबाया और फिर अपनी चोंच से इतने प्रहार उस पर किए कि वह अधमरा हो गया और फन की पकड़ ढीली होते ही खरगोश का बच्चा मुख से निकल आया। इस प्रकार नीलकंठ ने खरगोश के बच्चे को साँप से बचाया।

इस घटना के आधार पर नीलकंठ के स्वभाव की विशेषताओं निम्नलिखित हैं -

• सतर्कता - जालीघर के ऊँचे झूले पर सोते हुए भी उसे खरगोश की मंद पुकार सुनकर यह शक हो गया कोई प्राणी कष्ट में है और वह झट से झूले से नीचे उतरा।

• साहसी और वीर - अकेले ही उसने साँप से खरगोश के बच्चों को बचाया और साँप के दो खंड कर दिया जिससे उसके साहस और वीरता का पता चलता है।

• रक्षक - खरगोश को मौत के मुँह से बचाकर नीलकंठ ने यह सिद्ध कर दिया कि वह रक्षक है।

• दयालु - वह खरगोश के बच्चे को सारी रात अपने पंखों में छिपाकर ऊष्मा देता रहा जिससे उसके दयालु होने का पता चलता है।

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