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मेरे देश के लाल
उद्देश्य:
हमारा देश महान है। यहाँ भौगोलिक, प्राकृतिक, धरातलीय तथा सांस्कृतिक विषमताएँ हैं। यहाँ बच्चा-बच्चा अपने देश पर मर
मिटने को तैयार है। यहाँ के लोगों का मन पानी की तरह साफ है। यदि देश की आन-बान पर बन आए, तो यहाँ के वासी किसी भी
हद तक जोखिम उठाने को सर्वदा तैयार रहते हैं।
पाठ प्रवेश
यदि आप ये सब नहीं जानते हैं तो प्रस्तुत कविता के माध्यम से जान सकते हैं। यदि आप कुछ-कुछ जानते
भी हैं तो उसकी पुष्टि कर सकते हैं, अपनी जानकारी को और विस्तार दे सकते हैं तथा अपनी जानकारी में
सुधार कर सकते हैं। बालकवि बैरागी ने अपनी इस कविता के माध्यम से पाठकों को यही सब बताया है।
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दूध-दही की नदियाँ जिसके आँचल में कलकल करतीं,
53 हीरा, पन्ना, माणिक से है पटी जहाँ की शुभ धरती।
हल की नोकें जिस धरती की मोती से माँगें भरतीं,
उच्च हिमालय के शिखरों पर जिसकी ऊँची ध्वजा फहरती।
रखवाले ऐसी धरती के हाथ बढ़ाना क्या जानें,
मेरे देश के लाल हठीले शीश झुकाना क्या जानें!
आजादी अधिकार
अधिकार सभी का जहाँ बोलते सेनानी,
विश्व शान्ति के गीत सुनाती जहाँ चुनरिया
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ये धानी।
मेघ साँवले बरसाते
बरसाते हैं जहाँ अहिंसा का पानी,
अपनी माँगें पोंछ डालतीं हँसते-हँसते कल्याणी।
ऐसी भारत माँ के बेटे मान गँवाना क्या जानें,
मेरे देश के लाल हठीले शीश झुकाना क्या जानें!
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